कैसे हुआ था 100 कौरवों का जन्म, जाने महाभारत की ये अनोखी कथा

By Tami

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कैसे हुआ था 100 कौरवों का जन्म

धर्म संवाद / डेस्क : महाभारत से जुड़ी कई रोमांचक कथाएँ हैं। उन्मे से एक है कौरवों की जन्म कथा । कौरव 100 थे। उन्मे सबसे बड़ा दुर्योधन था। उनकी दुशाला नाम की एक बहन और युयुत्सु नाम का एक सौतेला भाई भी था।  कौरव हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र के पुत्र थे। उनकी मां का नाम गांधारी था। उनका जन्म सामान्य तरीके से नहीं हुआ था। चलिए आपको बताते हैं कौरवों की जन्म कथा।

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धृतराष्ट्र और गांधारी के काफी समय तक कोई संतान नहीं हुई थी. तब गांधारी ने ऋषि वेदव्यास जी की खूब सेवा की और उन्‍हें प्रसन्‍न किया. तब व्यासजी ने उन्‍हें 100 पुत्रों की मां होने का आशीर्वाद दिया. उन्हीं के आशीर्वाद से गांधारी गर्भवती तो हुई परंतु 9 महीने बीत जाने के बाद भी बच्चा पैदा नहीं हुआ। गांधारी 2 सालों तक गर्भवती रही परंतु फिर भी बच्चा पैदा नहीं हुआ।  इसी दौरान कुंती और पांडु को यमराज से युधिष्ठिर प्राप्त हुआ । गांधारी इससे बहुत परेशान होकर अपने पेट में मार दी। उसके बाद उन्होंने एक मांस के टुकड़े को जन्म दिया।

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तब महर्षि व्यास ने उस मांस के टुकड़े को 101 हिस्सों में विभाजित किया और उन्होंने  गांधारी से एक सौ घड़े घी से भरने की व्यवस्था करने को कहा। उसके बाद उन्होंने हर टुकड़े को एक –एक घी से भरे घड़े में रख दिया। उन 101 घड़ों में रखे गए मांस के टुकड़ों से बच्चों का विकास हुआ और धीरे-धीरे सभी उन घड़ों से जो बच्चे निकले, उन्हें ही कौरव कहा गया। सबसे पहले जो घड़ा फूटा उसमे से दुरोधन निकला। उसके बाद धीरे-धीरे 101 घड़ों में से 100 तो कौरव भाई निकले, जबकि एक घड़े से दुशाला ने जन्म लिया, जो 100 कौरवों की इकलौती बहन थी। इस प्रकार 100 कौरवों का जन्म हुआ।

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Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .