कैसे शुरू हुई लट्ठमार होली खेलने की परंपरा

By Tami

Published on:

लट्ठमार होली

धर्म संवाद / डेस्क : देशभर में होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।  हर जगह होली मनाने का  ढंग अलग – अलग होता है। होली वैसे तो 2 दिन का त्योहार होता है परन्तु ब्रज में यह त्‍योहार 40 दिन तक चलता है।  इसकी शुरुआत राधारानी के शहर बरसाना से होती है। वहाँ लट्ठमार होली खेली जाती है। यह परंपरा द्वापर युग की मानी जाती है। इसमें महिलाएं लाठी या लट्ठ लेकर पुरुषो को मारती हैं और पुरुष ढाल लेकर बचते हैं।

यह भी पढ़े : Holi Special : Radha krishna Holi images

[short-code1]

माना जाता है कि श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ कमर में फेंटा लगाए राधा रानी और गोपियों  के साथ होली खेलने बरसाने पहुंच जाया करते थे। उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए राधा और उनकी सखियां उन पर डंडे बरसाती थीं। उनकी मार से बचने के लिए कृष्ण और उनके मित्र लाठी और ढालों का उपयोग किया करते थे। इसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है.

WhatsApp channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

होली खेलने वाले पुरुषों को होरियारे और महिलाओं को हुरियारिनें कहा जाता है। लट्ठमार होली दो दिन खेली जाती है। एक दिन बरसाने में और एक दिन नंदगांव में। पहले दिन बरसाने में नंदगांव के युवक जाते हैं और बरसाने की हुरियारिन उन पर लट्ठ बरसाती हैं और दूसरे दिन बरसाने के युवक नंदगांव पहुंचकर लट्ठमार होली  खेलते हैं। होली के दौरान जिस भी पुरूष से लठ छिव जाता है, उसे महिलाओं के कपड़े पहनने पड़ते हैं और सबके सामने नृत्य भी करना पड़ता है। यह उत्सव एक सप्ताह से ज्यादा समय तक चलता है। जिसमें पुरुष नाचते हैं गाते हैं और होली के रंग में डूबते चले जाते हैं। टेसू के फूलों से रंगों को विशेष तौर पर तैयार किया जाता है। उन्ही रंगों से यह होली खेली जाती है।

लट्ठमार होली से जुड़ी एक मान्यता और है। कहते हैं कि होली के दौरान ब्रज भूमि पर पड़ा गुलाल अगर शरीर की किसी चोट पर लगा लिया जाए, तो शारीरिक पीड़ा दूर हो जाती है। बताया जाता हैं कि लठ खेलते हुए किसी को चोट लग जाए, तो यह गुलाल दवा का काम करता है। इसे लगाने के बाद उस व्यक्ति का दर्द कुछ ही देर में लुप्त हो जाता है। इसलिए ब्रज की भूमि को सदैव ही चमत्कारी माना गया है।

See also  मूषक कैसे बना गणेश जी का वाहन

आपको बता दे  बरसाने में लट्ठमार होली लाडली के मंदिर में खेली जाती है। इस उत्सव का पहला निमंत्रण सबसे पहले नंद गांव के नंद महल भेजा जाता है। इसके बाद ही बरसाने में नंदगांव के हुरियारे होली खेलने बरसाने आते हैं। 

लट्ठमार होली के बाद ब्रज में फूलों की होली खेली जाती है। इस होली में फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। लोग एक दूसरे पर फूल बरसाते हैं और होली का आनंद उठाते हैं।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .