धर्म संवाद / डेस्क : देशभर में होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर जगह होली मनाने का ढंग अलग – अलग होता है। होली वैसे तो 2 दिन का त्योहार होता है परन्तु ब्रज में यह त्योहार 40 दिन तक चलता है। इसकी शुरुआत राधारानी के शहर बरसाना से होती है। वहाँ लट्ठमार होली खेली जाती है। यह परंपरा द्वापर युग की मानी जाती है। इसमें महिलाएं लाठी या लट्ठ लेकर पुरुषो को मारती हैं और पुरुष ढाल लेकर बचते हैं।
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माना जाता है कि श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ कमर में फेंटा लगाए राधा रानी और गोपियों के साथ होली खेलने बरसाने पहुंच जाया करते थे। उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए राधा और उनकी सखियां उन पर डंडे बरसाती थीं। उनकी मार से बचने के लिए कृष्ण और उनके मित्र लाठी और ढालों का उपयोग किया करते थे। इसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है.
होली खेलने वाले पुरुषों को होरियारे और महिलाओं को हुरियारिनें कहा जाता है। लट्ठमार होली दो दिन खेली जाती है। एक दिन बरसाने में और एक दिन नंदगांव में। पहले दिन बरसाने में नंदगांव के युवक जाते हैं और बरसाने की हुरियारिन उन पर लट्ठ बरसाती हैं और दूसरे दिन बरसाने के युवक नंदगांव पहुंचकर लट्ठमार होली खेलते हैं। होली के दौरान जिस भी पुरूष से लठ छिव जाता है, उसे महिलाओं के कपड़े पहनने पड़ते हैं और सबके सामने नृत्य भी करना पड़ता है। यह उत्सव एक सप्ताह से ज्यादा समय तक चलता है। जिसमें पुरुष नाचते हैं गाते हैं और होली के रंग में डूबते चले जाते हैं। टेसू के फूलों से रंगों को विशेष तौर पर तैयार किया जाता है। उन्ही रंगों से यह होली खेली जाती है।
लट्ठमार होली से जुड़ी एक मान्यता और है। कहते हैं कि होली के दौरान ब्रज भूमि पर पड़ा गुलाल अगर शरीर की किसी चोट पर लगा लिया जाए, तो शारीरिक पीड़ा दूर हो जाती है। बताया जाता हैं कि लठ खेलते हुए किसी को चोट लग जाए, तो यह गुलाल दवा का काम करता है। इसे लगाने के बाद उस व्यक्ति का दर्द कुछ ही देर में लुप्त हो जाता है। इसलिए ब्रज की भूमि को सदैव ही चमत्कारी माना गया है।
आपको बता दे बरसाने में लट्ठमार होली लाडली के मंदिर में खेली जाती है। इस उत्सव का पहला निमंत्रण सबसे पहले नंद गांव के नंद महल भेजा जाता है। इसके बाद ही बरसाने में नंदगांव के हुरियारे होली खेलने बरसाने आते हैं।
लट्ठमार होली के बाद ब्रज में फूलों की होली खेली जाती है। इस होली में फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। लोग एक दूसरे पर फूल बरसाते हैं और होली का आनंद उठाते हैं।