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कैसे हुआ था पांडवों का जन्म, जाने रोचक कथा

By Tami

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पांडव

धर्म संवाद / डेस्क : महाभारत के प्रमुख पात्रों की जन्म –कथा बहुत अनोखी है। पांडव और कौरव दोनों ही सामान्य तरीके से जन्मे थे। उनके जन्म में दैवीय शक्तियों का हाथ था। कौरव 100 बीजों से जन्मे थे और पांडव पांच देवों की कृपा से। चलिए आपको बताते है पांडवों की जन्म कथा।

हस्तिनापुर के राजा पांडू ने कुंतीभोज की दत्तक पुत्री कुंती और माद्रा की राजकुमारी माद्री से विवाह किया था। वह एक युवा राजा थे, जिनकी दो युवा पत्नियां थीं। उनकी कोई संतान नहीं थी।  एक बार राजा पांडु अपनी पत्नियों के साथ शिकार करने के लिए जंगल में गए। राजा पांडु को वहां एक हिरण का जोड़ा दिखाई दिया, जो एक-दूसरे से बेहद प्यार करता था। जब राजा की नजर उस जोड़े पर पड़ी, तो उन्होंने तीर निकालकर नर हिरण को निशाना बनाया और तीर छोड़ दिया। तीर सीधा हिरण की छाती में जाकर लगा।

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वह हिरण कोई और नहीं, बल्कि हिरण के वेश में ऋषि किदंबा थे। उन्होंने पांडु को श्राप दिया कि वह जब भी किसी महिला के करीब जाएंगे, तभी उनकी मृत्यु हो जाएगी। पांडु ने ऋषि किदंबा से क्षमा मांगी, लेकिन तब तक वो मर चुके थे। उनकी दो पत्नियां होने के बावजूद श्राप के कारण वह उनके करीब नहीं जा सकते थे। इसके साथ ही कुरु वंश संतानविहीन रह गया था।

पांडु इस स्थिति से इतने निराश हुए कि वह राज्य त्याग कर अपनी पत्नियों के साथ वन में रहने चले गए। वह जंगल में रहने वाले ऋषि-मुनियों से बातचीत करके खुद को व्यस्त रखने और यह भूलने की कोशिश करते कि वह एक राजा हैं। मगर उनके अंदर की निराशा गहराती चली गई। एक दिन हताशा के चरम पर पहुंच कर वह कुंती से बोले, ‘मैं क्या करूं? मैं आत्महत्या करना चाहता हूं। अगर तुम दोनों में से किसी ने संतान नहीं पैदा की, तो कुरुवंश खत्म हो जाएगा। धृतराष्ट्र के भी बच्चे नहीं हैं। इसके अलावा, वह सिर्फ नाम के राजा हैं और चूंकि वह नेत्रहीन हैं, इसलिए उनके बच्चों को वैसे भी राजा नहीं बनना चाहिए।’ तब कुंती ने अपने पती को बताया कि उन्हें ऋषि दुर्वासा से वरदान मिला था कि वह किसी भी भगवान को बुला कर उनसे एक शिशु को प्राप्त कर सकती है। 

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दुर्वासा द्वारा कुंती को दिए गए मंत्रों के उपयोग के माध्यम से उसने यम यानी धर्म के देवता का आह्वान किया, जिससे उन्होंने युधिष्ठिर को जन्म दिया। उसने फिर पवन देव से भीम, इंद्र देव से अर्जुन के रूप में एक और पुत्र प्राप्त किया। इस प्रकार उसके तीन पुत्र हो गए, लेकिन माद्री के एक भी पुत्र नहीं था, तब कुंती ने माद्री को भी मंत्र विद्या सिखाई। मंत्रों की मदद से माद्री ने अश्विनी कुमारों को बुलाया, जिन्होंने उसे नकुल और सहदेव पुत्र के रूप में दिए। इस प्रकार, पांचों पांडवों का जन्म हुआ।

इनके अलावा कुंती ने सूर्य देव का आह्वान कर के कर्ण को प्राप्त किया था परन्तु तब कुंती विवाहित नहीं थी इसलिए उन्होंने कर्ण को नदी में बहा दिया।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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