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यहां पर रखा है कर्ण का कवच और कुण्डल

By Tami

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कर्ण का कवच और कुण्डल

धर्म संवाद / डेस्क : महाभारत के प्रमुख पात्र पांडव और कौरव थे। पर उनके अलावा दानवीर कर्ण भी एक बेहद ही महत्वपूर्ण पात्र माने जाते हैं। उनके दान के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। उन्होंने कौरव की सेना की तरफ से युद्ध लड़ा था। आपको बता दें कि कर्ण माता कुंती और सूर्य के अंश से जन्मे थे। इनका जन्म एक ख़ास कवच और कुंडल के साथ हुआ था जिसे पहनकर उन्हें दुनिया की कोई भी ताकत परास्त नहीं कर सकती थी। यही कारण है कि इंद्र देव ने एक ब्राह्मण के भेष में आकर उनके कवच – कुंडल दान में मांग लिए थे। उसके बाद ही उन्हें मारना संभव हुआ। तो ये कवच कुंडल आखिर है कहाँ।

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कहा जाता है कि कर्ण के कवच कुंडल लेकर इंद्र देव स्वर्ग नहीं जा पाए थे क्यूंकि उन्हें ये धोखे से प्राप्त हुए थे। इस वजह से उन्होंने पृथ्वी पर ही उन्हें छुपा दिया था।  माना जाता है छत्तीसगढ़ में ही कर्ण का कवच और कुंडल एक गुफा में मौजूद है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रहने वाले लोगों का कहना है कोई श्राप के कारण इंद्रदेव का रथ इसी गुफा के पास धंस गया था, जिसके पहिये के निशान आज भी यंहा मौजूद हैं। इसके बाद इंद्रदेव ने कवच और कुण्डल को यहाँ के एक गुफा में छुपा दिया था, जंहा पर जाना खतरे से खाली नहीं है। इस गुफा से आज भी पीली रंग की रौशनी निकलती है जिसे कर्ण के कवच और कुण्डल की रौशनी माना जाता है।

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स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गुफा के अंदर जाने का रास्ता  चारों तरफ से बंद है , बस एक छोटा सा स्थान है जहाँ से की रौशनी दिखाई पड़ती है। इस गुफा के अंदर सूर्य की रौशनी आने का भी कोई स्थान नहीं है जिससे ये माना जाए कि ये रौशनी सूरज के किरणों की है।

हालंकि कर्ण के कवच और कुण्डल कंहा है इसके बारे में अलग अलग किवदंतियां है, कोई बताता है कि कर्ण का कवच और कुंडल हिमालय में स्थित किसी गुफा में मौजूद है तो कोई कहता है कि उड़ीसा में स्थित कोर्णाक मंदिर में है और कोई कहता है कि कर्ण का कवच और कुण्डल इस गुफा में मौजूद है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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