कुबेर कैसे बने धन के देवता, जाने यह पौराणिक कथा

By Tami

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कुबेर कैसे बने धन के देवता

धर्म संवाद / डेस्क : हमारे शास्त्रों में भगवान कुबेर को धन का देवता माना जाता है। पुराणों में कुबेर देव को रावण का भी बताया गया है। धनतेरस और दीपावली पर माता लक्ष्मी और गणेश के साथ इनकी भी पूजा की जाती है। धन के देवता होने के साथ साथ कुबेर देव को यक्षों का राजा भी माना जाता है। माना जाता है कि भगवान कुबेर की दया दृष्टि जिस पर पड़ती है उसे जीवन में आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। चलिए जानते हैं कि वे धन के देवता आखिर बने कैसे।

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स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है कि पूर्वजन्म में भगवान कुबेर एक गुणनिधि नाम के ब्राह्मण हुआ करते थे। लेकिन उसमें एक अवगुण था कि वह चोरी करने लगा था। इस बात का पता जब उनके पिता को चल तो उन्होंने उसे घर से निकाल दिया। फिर भी वे चोरी किया करते थे। एक दिन वो चोरी करने के लिए एक शिव मंदिर में घुसे। वहां एक पुजारी सो रहा था। जिससे बचने के लिए गुणनिधि ने दीपक के सामने अपना अंगोछा फैला दिया। लेकिन पुजारी ने उसे चोरी करते हुए पकड़ लिया और उसके ऊपर बाण चलाया जिससे गुणनिधि के प्राण निकल गए। 

मृत्यु के उपरांत जब यमदूत गुणनिधि को लेकर आ रहे थे तो दूसरी ओर से भोलेनाथ  के दूत भी आ रहे थे। दरअसल भोलेनाथ को यह प्रतीत हुआ कि गुणनिधि ने अंगोछा बिछाके उनके लिए जल रहे दीपक को बुझने से बचाया है। इसी बात से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गुणनिधि को कुबेर की उपाधि प्रदान की। साथ ही देवताओं के धन का खजांची बनने का आशीर्वाद भी दिया।

एक और प्रसंग रामायण में मिलता है। जिसके अनुसार, भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कुबेर ने हिमालय पर्वत पर कठोर तप किया। तप के अंतराल में शिव तथा पार्वती दिखायी पड़े। कुबेर ने अत्यंत सात्त्विक भाव से पार्वती की ओर बाएं नेत्र से देखा। पार्वती के दिव्य तेज से वह नेत्र भस्म होकर पीला पड़ गया। तब कुबेर वहां से उठकर दूसरे स्थान पर चले गए। कुबेर के घोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कहा कुबेर से कहा कि तुमने मुझे तपस्या से जीत लिया है। तुम्हारा एक नेत्र पार्वती के तेज से नष्ट हो गया, अत: तुम एकाक्षी पिंगल कहलाओंगे।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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