Do you want to subscribe our notifications ?

आखिर कैसे हुई मां सरस्वती की उत्पत्ति, जाने पौराणिक कथा

By Admin

Updated on:

धर्म संवाद / डेस्क : माँ सरस्वति को विद्या, कला, संगीत, साहित्य की देवी माना जाता है। खासकर विद्यार्थियों के लिए देवी सरस्वती की पूजा करना बहुत फायदेमंद माना जाता है । हर परिस्थिति से लड़ने के लिए ज्ञान की देवी यानि कि माँ सरस्वती का आशीर्वाद चाहिए होता है। देवी सरस्वती को भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वागीश्वरी के नामों से संबोधित किया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो पृथ्वी पूरी तरह से निर्जन थी और चारों ओर उदासी थी। इस उदासी को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में से पृथ्वी पर जल छिड़का। इन जलकणों से चार भुजाओं वाली एक शक्ति प्रकट हुई। उनके एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। इस तरह माँ सरस्वती की उत्पत्ति हुई। इसके बाद ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती की परीक्षा लेनी चाही। ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को वीणा बजाने के लिए कहा, जब सरस्वती जी ने वीणा बजाई तो ब्रह्मांड़ की बनाई हर चीज में स्वर आ गया। वह दिन माघ शुक्ज पंचमी थी। वह दिन वसंत पंचमी का दिन कहलाया। इसके साथ ही देवी सरस्वती के मुख से विघा के पूरे श्लोक, वचन का गहरा ज्ञान निकला । मां सरस्वती ने ही इस सृष्टि को वाणी प्रदान की थी।  उनसे ही ज्ञान का प्रकाश सभी मनुष्यों को प्राप्त हुआ है। 

माँ सरस्वती के प्रभाव के कारण ही हर जीव के अंदर विभिन्न कार्यों को करने की दक्षता थी व सभी में उसी अनुसार अलग-अलग कौशल विकसित हुआ। उन्होंने विश्व के सभी प्राणियों व जीव-जन्तुओं की प्रजातियों में उनकी क्षमता के अनुसार विद्या का विकास किया। वीणा का संगीत बजते ही विश्व के समस्त प्राणियों में वाणी का विकास हुआ, वायु में सरसराहट होने लगी, जलधारा में कोलाहल हुआ व पूरा विश्व मानो चहक सा उठा। पूरी पृथ्वी में विभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ गुंजाएमान हो उठी जिस कारण हर किसी में एक नया उत्साह व उमंग का संचार हुआ।

Admin

Exit mobile version