धर्म संवाद / डेस्क : माता सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी कहा जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और भक्तों को बुद्धि, विवेक और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं। इस साल बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाती है। अगर आप भी बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की नई प्रतिमा घर लाने जा रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान अवश्य रखे।
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वास्तु के अनुसार, मां सरस्वती की प्रतिमा सौम्य, सुंदर और आशीर्वाद मुद्रा में होनी चाहिए। घर में मां सरस्वती कमल पुष्प पर बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए। खड़ी हुई मुद्रा में सरस्वती की प्रतिमा की पूजा करना शुभ नहीं माना जाता। मंदिर में मां सरस्वती की खंडित मूर्ति नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे नेगेटिविटी बढ़ती है। मां सरस्वती की प्रतिमा को उत्तर दिशा में स्थापित करना शुभ माना गया है।
बसंत पंचमी के दिन पूजा-स्थल पर मां सरस्वती की दो प्रतिमा स्थापित न करें। ऐसा शुभ नहीं माना जाता। मां सरस्वती के हाथों में वीणा होना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि वीणा वादिनी मां सरस्वती की कृपा से संपूर्ण जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई थी। कमल पुष्प पर विराजमान, हाथों में वीणा, माला और पुस्तक लिए हुए मां सरस्वती की प्रतिमा बेहद शुभ मानी जाती है।
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मां सरस्वती की मूर्ति को स्थापित करने के लिए उत्तर दिशा को बेहद शुभ माना गया है। इसलिए मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर उत्तर दिशा में लगाएं। माना जाता है कि इस दिशा में मूर्ति स्थापित या तस्वीर लगाने से शिक्षा संबंधी कार्यों में सफलता मिलती है और सभी काम बिना किसी रुकावट के पूर्ण होते हैं।