धर्म संवाद / डेस्क : छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, आस्था, अनुशासन और पवित्रता का पर्व है। यह महापर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में हर नियम, हर अर्पण और हर भोग का विशेष धार्मिक महत्व होता है। कहा जाता है कि छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भोग में सादगी, पवित्रता और प्रेम सबसे अहम होते हैं।
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1. ठेकुआ – छठी मैया का सबसे प्रिय प्रसाद
ठेकुआ को छठ पूजा का राजा प्रसाद कहा जाता है। गेहूं के आटे, गुड़, और घी से बना यह स्वादिष्ट पकवान बिना किसी कृत्रिम तत्व के तैयार किया जाता है। इसे सूर्य अर्घ्य के बाद प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। माना जाता है कि ठेकुआ में शुद्धता और समर्पण की भावना छठी मैया को सबसे प्रिय लगती है।
2. केला – पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक
छठी मैया को केले का भोग अर्पण करना शुभ माना जाता है। केला पवित्र फल है, जो हर पूजा में उपयोग होता है। यह दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। अर्घ्य के समय केले के थाल में जल, दीपक और सुपा के साथ अर्पण किया जाता है।
3. गन्ना – सात्विकता और शक्ति का प्रतीक
गन्ना छठ पूजा में विशेष स्थान रखता है। यह न सिर्फ सजावट में उपयोग होता है बल्कि इसे भोग का हिस्सा भी माना जाता है। कहा जाता है कि गन्ने की तरह जीवन में माधुर्य और संतुलन बना रहे, यही छठी मैया का आशीर्वाद होता है।
4. नारियल और सूखे मेवे – पूर्णता और श्रद्धा का अर्पण
छठी मैया को नारियल अर्पण करने का अर्थ है पूर्ण समर्पण और कृतज्ञता व्यक्त करना। नारियल के साथ बादाम, किशमिश और छुहारा जैसे सूखे मेवे भी पूजा थाल में रखे जाते हैं, जो समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक हैं।
5. मौसमी फल – प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक
छठ पूजा में मौसमी फलों का भोग सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। इसमें सेब, अमरूद, सीताफल, बेर, और संतरा प्रमुख होते हैं। ये फल प्रकृति के उपहार का प्रतीक हैं और छठी मैया को धरती की समृद्धि के लिए धन्यवाद देने का माध्यम भी।
6. अर्घ्य का जल – भक्ति की सबसे पवित्र पेशकश
अर्घ्य देने के लिए उपयोग किया जाने वाला जल सबसे पवित्र भोग माना जाता है। इसमें दूध, गंगाजल, चंदन और पुष्प मिलाकर सूर्य देव को अर्पण किया जाता है। अर्घ्य का अर्थ है आत्मसमर्पण और कृतज्ञता, जो छठ पूजा की आत्मा है।






