धर्म संवाद/डेस्क : 2024 की तरह इस साल भी कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि दो दिन रहेगी, जिससे दीपावली की सही तिथि को लेकर संशय बना हुआ था। लेकिन बनारस, उज्जैन और भोपाल के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्यों ने साफ कर दिया है कि दीपावली 20 अक्टूबर सोमवार को ही मनाई जानी चाहिए।
यह भी पढ़े : करवा चौथ के बाद करवा का क्या करें? – परंपरा, मान्यता और सही विधि
ऐसा इसलिए क्योंकि 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सूर्यास्त से पहले खत्म हो जाएगी, इसलिए इस दिन दीपावली मनाने या लक्ष्मी पूजन का कोई औचित्य नहीं है। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में भी दिवाली इसी दिन मनाई जाएगी। 20 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष और निशीथ काल में होने के कारण इसी दिन लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना गया है।
इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को ही क्यों मनाई जाना चाहिए?
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन अमावस्या तिथि की रात, प्रदोष और निशीथ काल में होता है। इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:43 बजे तक रहेगी। 20 को ही अमावस्या तिथि प्रदोष और रात्रिकाल में रहेगी। इसलिए इसी दिन दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत है।
प्रदोष व निशीथ काल क्या है?
सूर्यास्त से लगभग 1.5-2 घंटे पहले और बाद का शुभ समय प्रदोष काल कहलाता है। वहीं, निशीथ काल आधी रात का समय होता है, लगभग रात 12 बजे से 1:30 बजे तक। लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष और शुभ माना जाता है।
21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि रहते हुए भी दीपावली क्यों नहीं मनाई जाएगी?
क्योंकि 21 अक्टूबर को अमावस्या सूर्यास्त से पहले ही समाप्त हो जाएगी और शाम तक प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। 21 तारीख को अमावस्या ना तो प्रदोषकाल में रहेगी, ना रात्रि में। दीपावली पूजन अमावस्या की रात को ही होता है, इसलिए 21 को नहीं मनाई जाएगी।






