क्यों हनुमान जी ने समुद्र में फेंक दी थी अपनी रामायण

By Tami

Published on:

क्यों हनुमान जी ने समुद्र में फेंक दी थी अपनी रामायण

धर्म संवाद / डेस्क : रामायण एक ऐसा प्राचीन महाकाव्य है जो भगवान श्री राम के जीवन को समर्पित है। इसकी रचना महर्षी वाल्मीकि ने कि थी। परंतु श्री राम की जीवन गाथा हनुमान जी द्वारा भी लिखी गई थी यह बात हर कोई नहीं जानता । इसे हनुमद रामायण कहते हैं , जिसे हनुमान जी ने स्वयं अपने नाखूनों से एक चट्टान पर लिखा था । लेकिन वाल्मीकि जी की नाराजगी दूर करने के लिए उन्होंने इसे नदी में बहा दिया था।

यह भी पढ़े : हनुमान जी का जन्म श्री राम के जन्म से कैसे संबंधित है

पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद, भगवान राम के अयोध्या में राज्याभिषेक के समय, हनुमान जी हिमालय पर तपस्या के लिए चले गए थे। तपस्या के दौरान  जब भी उनके पास समय होता, वो अपने पास मौजूद एक शिला पर अपने वज्रनख (नाखून) से अपनी भक्ति और श्री राम के प्रति अपने अगाध प्रेम को अभिव्यक्त करते हुए रामायण कथा लिखते रहते। कई वर्षों तक उनकी दिनचर्या ऐसी ही रही। इसे ‘हनुमद रामायण’ के नाम से जाना जाता है।

WhatsApp channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

बाद में  महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखना प्रारंभ किया और  समाप्त करने के बाद  वे इसे भगवान शिव को समर्पित करने के लिए कैलाश पर्वत गए। वहाँ , हनुमान जी पहले से ही मौजूद थे। उन्होंने जब हनुमान जी की रामायण सुनी, तो वो मायूस और निराश हो गये। वाल्मीकि जी को लगा कि उनकी रामायण इसके सामने फीकी पड़ जाएगी। महर्षि वाल्मीकि ने कहा कि रामभक्त आप धन्य हैं. आपकी महिमा के गुणगान के लिए मुझे एक और जन्म लेना होगा. मैं वचन देता हूं कि कलियुग में मैं एक और रामायण लिखने के लिए जन्म लूंगा. वह रामायण आम लोगों की भाषा में होगी. माना जाता है कि कलियुग में रामचरितमानस लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदासजी महर्षि वाल्मीकि का ही दूसरा जन्म थे. रामचरितमानस लिखने से पहले उन्होंने हनुमान चालीसा लिखी, फिर हनुमानजी का गुणगान करते हुए उनकी प्रेरणा से अपनी रामचरितमानस पूरी की.

See also  मकर संक्रांति पर दान क्यों करते हैं?, जाने पौराणिक कथा

कहते हैं कि कालीदास के समय में हनुमद रामायण का एक अंश बहकर समुद्र के किनारे आ गया था, जिसकी भाषा और लिपि को समझने के लिये उसे सार्वजनिक जगह पर रख दिया गया था। कालीदास वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने वो भाषा समझी और यह भी जाना कि रामायण का यह अंश हनुमान जी के द्वारा लिखा गया है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .