धर्म संवाद / डेस्क : इस साल शारदीय नवरात्रि, सूर्य ग्रहण के साये से शुरू होने वाली है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में स्थित होते हैं, तब सूर्य ग्रहण लगता है। इसका अर्थ है कि जब चंद्रमा अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुंचता। पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले चंद्रमा की दूरी भी समय-समय पर बदलती रहती है। चंद्रमा की दूरी बदलने से पृथ्वी से देखने पर यह छोटा और बड़ा दिखाई देता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तब यह बड़े आकार का दिखता है। इस दौरान अगर सूर्य ग्रहण लगे तो वह पूरे सूर्य को ढक पाता है, जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
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साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्तूबर 2024 को रात 9 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा और 3 अक्तूबर को सुबह 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जो आसमान में रिंग ऑफ फायर बनाएगा। वलयाकार रिंग के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तो इसका आकार बदल जाता है। यह तब देखने में छोटा लगता है। सूर्य ग्रहण के दौरान यह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता। इस कारण सूर्य के किनारे दिखाई देते हैं। पृथ्वी से इस नजारे को देखने पर ऐसा लगता है जैसे आसमान में आग की रिंग है। यह सूर्य ग्रहण छह घंटे से ज्यादा तक चलेगा।
आपको बता दे ये भारत में नजर नहीं आएगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण चिली, अर्जेंटीना और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। वहीं बाकी दक्षिण अमेरिका के अन्य देशों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण दिखेगा।