मेहंदीपुर बालाजी: यहाँ आने से काँपते हैं भूत-प्रेत

By Tami

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मेहंदीपुर बालाजी

धर्म संवाद / डेस्क : भारत मंदिरों का देश है। यहाँ ऐसे कई मंदिर और तीर्थस्थल हैं जो अपनी गाथा, रहस्य, चमत्कार और महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं.कुछ मंदिर तो इतने चमत्कारी और रहस्यमयी हैं कि जब भी लोगों को इनके बारे में पता चलता है सब हैरान रह जाते हैं।  हर मंदिर की अपनी एक गाथा और महत्व है। इन्हीं मंदिरों में से एक है मेहंदीपुर बालाजी।इस मंदिर को  प्रेत बाधा से मुक्ति दिलवाने का गढ़ कहा जाता है। यहाँ लोग भूत और प्रेत-बाधाओं से मुक्ति के लिए दूर-दूर से अर्जी लगाने के लिए आते हैं।

देखे विडिओ : मेहेंदिपुर बालाजी : ऐसा मंदिर जहा वाकई भागता है भूत | Mehendipur Balaji Temple

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के नजदीक दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा यानी की कोतवाल कप्तान की मूर्ति है। हर दिन 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी यानी की कीर्तन होता है, जिसमें लोगों पर आए ऊपरी सायों को दूर किया जाता है। आपको बता दे बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा सा छेद है जिससे लगातार पवित्र जल बहता रहता है। कहते हैं यह बालाजी का पसीना है। यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ता है। बताया जाता है कि जिनके अंदर भूत-प्रेत की बाधा होती हैं, वह यह प्रसाद खाते ही अजब-गजब हरकतें करने लगते हैं।

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मेहंदीपुर बालाजी में आने वाले भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। जो भी भक्त यहां आते हैं, उन्हें पूरे एक सप्ताह तक लहसुन, प्याज, मासांहार भोजन और मदिरा का सेवन बंद करना पड़ता है। इस मंदिर में प्रसाद की 2 कैटेगरी है, एक दर्खावस्त और दूसरी अर्जी। दर्खावस्त को बालाजी में हाजरी भी बोलते हैं। हाजरी के प्रसाद को दो बार खरीदना पड़ता है और अर्जी में 3 थालियों में प्रसाद मिलता है। मंदिर में दर्खावस्त एकबार लगाने के बाद, वहां से तुरंत निकल जाना होता है। अर्जी का प्रसाद लौटते समय लेते हैं जिन्हें निकलते समय बिना मुड़कर देखे पीछे फेंक देना होता है। यहाँ का प्रसाद घर लेकर नहीं जाया जा सकता । मान्यता है कि ऐसा करने से आप पे किसी प्रेत आदि का साया चिपक सकता है।

कहा जाता है कि यहाँ मौजूद बालाजी की मूर्ति को अलग से किसी ने नहीं बनाया है, अपितु यह पर्वत का ही अंग है । इसी मूर्त्ति के चरणों में एक छोटी-सी कुण्डी थी, जिसका जल कभी खत्म नहीं होता था। इस मंदिर में हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में विराजमान हैं। ऊणके दर्शन करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। 

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Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .