धर्म संवाद / डेस्क : हिन्दू धर्म में गाय की पूजा की जाती है। गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ अगर विज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो गाय के दूध से लेकर गोबर तक में कई ऐसे गुण पाए गए है जो कई बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करते है। विवाह संस्कार में भी गाय के गोबर का लेप करके शुद्धि करते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर गाय को पवित्र क्यों माना जाता है।
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गाय के अंगों में सम्पूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है। भविष्य पुराण के अनुसार गाय के सींगों में तीनों लोकों के देवी-देवता विद्यमान रहते हैं। सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा और पालनकर्ता विष्णु गाय के सींगों के निचले हिस्से में विराजमान हैं तो गाय के सींग के मध्य में शिव शंकर विराजते हैं। गौ के ललाट में मां गौरी तथा नासिका भाग में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं। गाय की छाया भी बड़ी शुभ मानी गई है। यात्रा के समय गाय या सांड दाहिने आ जाए तो शुभ माना जाता है और उसके दर्शन से यात्रा सफल हो जाती है। दूध पिलाती गाय का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। गाय के शरीर का स्पर्श करने वाली हवा भी पवित्र होती है। जहां गाय बैठती है, वहां की भूमि और गाय के चरणों की रज (धूल) भी पवित्र होती है।
धार्मिक आस्था है कि गाय अपनी सेवा करनेवाले व्यक्ति के सारे पाप अपनी सांस के जरिए खींच लेती है। गाय जहां पर बैठती है, वहां के वातावरण को शुद्ध करके सकारात्मकता से भर देती है। संतान और धन की प्राप्ति के लिए भी गाय को चारा खिलाना और उसकी सेवा करना बेहतर परिणामदायक माना गया है। गाय से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष इन चारों की सिद्धि होती है। गोपालन से, गाय के दूध, घी, गोबर आदि से धन की वृद्धि होती है। सम्पूर्ण धार्मिक कार्यों में गाय का दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र काम में आते हैं। कामना पूर्ति के लिए किए जाने वाले यज्ञों में भी गाय का घी आदि काम में आता है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गायों को चराया था, जिससे उनका नाम ‘गोपाल’ पड़ा। प्राचीन काल में ऋषि -मुनि वन में रहते हुए अपने पास गाय रखा करते थे। गाय के दूध-घी का सेवन करने से उनकी बुद्धि विलक्षण होती थी।
मान्यता है कि एक गाय का पूजन करने से सब देवताओं का पूजन हो जाता है जिससे सब देवताओं को पुष्टि मिलती है। पुष्ट हुए देवताओं के द्वारा सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन, पालन, रक्षण होता है। गाय की रक्षा से मनुष्य, देवता, भूत- प्रेत, यक्ष-राक्षस, पशु-पक्षी, वृक्ष-घास आदि सबकी रक्षा होती है। कोई भी ऐसा स्थावर-जंगम प्राणी नहीं है जो गाय से पुष्टि न पाता हो। गाय अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की सिद्ध करने वाली, लोक-परलोक में सहायता करने वाली और नरकों से उद्धार करने वाली है।
नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है, कहा तो यह भी जाता है कि गोदान से ही सभी अनिष्ट कट जाते हैं। शनि की दशा, अंतरदशा, और साढ़ेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है। गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदान करती है।