धर्म संवाद / डेस्क : रुद्राक्ष शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है,“रुद्र” और “अक्ष”, जहां रुद्र का अर्थ “शिव” और अक्ष का अर्थ “भगवान शिव की आंख” ।माना जाता है रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से ही जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसूओं से हुई थी।
यह भी पढ़े : ब्रह्म मुहूर्त में इन मंत्रों के जाप से घर की नकारात्मकता होती है दूर
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय भगवान शिव हजारों साल तक गहन ध्यान में चले गए थे। कहा जाता है कि शिव ने हजारों साल गहन ध्यान के बाद जब एक दिन अपनी आंखें खोलीं, तब उनके आंसुओं की बूंदें जमीन पर गिरी थीं, जिससे रुद्राक्ष के पेड़ विकसित हुए। रुद्र की आंखों से उत्पन्न होने के कारण इसे रुद्राक्ष का नाम दिया गया।
देवी भागवत पुराण के अनुसार , त्रिपुरासुर नामक असुर को अपनी शक्ति का बहुत घमंड हो गया था। इस वजह से उसने धरती लोक के साथ साथ देव लोक में भी हाहाकार मचा दिया था। जिस वजह से वह सभी भोलेनाथ के पास अपनी प्रार्थना लेकर पहुंचे। देवता जब कैलाश पर्वत पर पहुंचे तब उस समय भगवान शिव ध्यान में लीं थे।
जब भगवान शिव ने अपना नेत्र खोला तब उनकी आंखों से कुछ अश्रु छलक कर धरती पर गिर गए, जिससे रुद्राक्ष के वृक्ष का जन्म हुआ। जहां-जहां भगवान शिव के आंसू गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग आए। इसलिए रुद्राक्ष को भगवान शिव के तीसरे नेत्र का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। इसके बाद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से त्रिपुरासुर का वध किया और उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया।
यह भी पढ़े : किस कारण सुदामा को भोगनी पड़ी गरीबी, जाने इसके पीछे का रहस्य
एक अन्य किंवदंती के अनुसार, जब माता सती ने आत्मदाह किया था। तब महादेव अत्यंत विचलित हो उठे थे और उन्होंने माता सती के शरीर को लेकर तीनों लोकों में विलाप करते हुए विचरण कर रहे थे। इस दौरान भगवान शिव जिस-जिस स्थान से गुजरे वहां उनके आंसू गिरते रहे और वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष का जन्म हुआ। वृक्ष में लगे फलों को रुद्राक्ष के नाम से जाना गया।
धर्म ग्रंथो में बताया गया है कि जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है, वहां सदैव माता लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ रुद्राक्ष पहनने से मानसिक परेशानियां व हृदय रोग जैसा खतरा भी टल जाता है। जो व्यक्ति नितदिन रुद्राक्ष की माला से ‘ॐ नमः शिवाय’ महामंत्र का जाप करता है। उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होता है। रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी रुद्राक्ष का बहुत महत्त्व है। रुद्राक्ष में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो शारीरिक जल स्पर्श से विद्युत शक्ति पैदा करते हैं। मंत्रों का जाप करते समय जब उंगलियों में रुद्राक्ष का स्पर्श होता है तो शरीर के अंदर रोग से लड़ने की शक्ति जागृत होती है, जिससे आक्रामक रोगों से मुक्ति प्राप्त करने में सहायता मिलती है।