महाभारत में अर्जुन अपने ही भाई युधिष्ठिर को क्यों मारना चाहते थे? जाने अनसुनी कहानी

By Tami

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अर्जुन

धर्म संवाद / डेस्क : महाभारत की कई कहानियाँ ऐसी हैं जो आज भी अनसुनी है। उन सभी कहानियों में एक कहानी ऐसी भी है जिसके अनुसार अर्जुन ने अपने बड़े भाई युधिष्ठिर को मारने के लिए तलवार उठाई थी। जी हाँ युधिष्ठिर पांडवों में सब से बड़े थे। सारे भाई उनका बहुत स्नेह करते थे और बहुत इज्ज़त भी किया करते थे। पर ऐसा क्या हुआ कि अर्जुन ने अपने ज्येष्ठ भ्राता को मारने की कोशिश की। चलिए जानते हैं पूरी कहानी।

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महाभारत के युद्ध का 17वा दिन था, भीषण युद्ध हो रहा था। एक तरफ थे पांडवों में सबसे ज्येष्ठ युधिष्ठिर और दूसरी तरफ से वीर शिरोमणि कर्ण। दोनों ही उच्च कोटि के योद्धा थे। लेकिन कर्ण का युद्ध कौशल युधिष्ठिर से अधिक था। लगातार लड़ते रहने से युधिष्ठिर कुछ शिथिल होने लगे थे। इसी बात का फायदा उठाकर कर्ण उनपर और तेज़ी से प्रहार करने लगे। कर्ण के प्रहारों से युधिष्ठिर बुरी तरह से घायल हो गए। कहते हैं कि जब कुंती पुत्र कर्ण कौरव का सेनापति बन गया तो उसने पांडवों की नींद उड़ा दी। कौरवों की सेना पांडवों की सेना का सफाया करने लगे।  कर्ण किसी भी पल युधिष्टिर का वध कर सकते थे। लेकिन कर्ण ने ऐसा नहीं किया। वो घायल युधिष्ठिर को छोड़ दूसरी तरफ चले गए।  दरअसल, कर्ण ने माँ कुंती को वचन दिया था कि वे अर्जुन के अलावा किसी को प्राण से नहीं मरेंगे इसलिए उन्होंने युधिष्ठिर को नहीं मारा।

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जब श्रीकृष्ण और अर्जुन  को पता चला कि युधिष्ठिर घायल है तो वो दोनों उनसे मिलने उनके शिविर पहुंचे। अर्जुन को देख कर  युधिष्ठिर को लगा कि अर्जुन कर्ण को मारकर उनके अपमान का बदला लेकर आये है। लेकिन जब युधिष्ठिर को पता चला कि अर्जुन तो मात्र उनके घायल होने की बात सुन उनसे मिलने आए हैं तब युधिष्ठिर क्रोधित हो उठे।  उन्होंने कहा, ‘तुम यहां केवल मेरे घावों के बारे में पूछने आए हो या फिर उन्हें और कुरेदने आए हो? तुम किस तरह के भाई हो जो अब तक अपने बड़े भाई के अपमान का बदला नहीं ले सके। अगर तुम मेरे लिए इतना भी करने में असमर्थ हो तो तुम्हारे इस गांडीव अस्त्र का कोई लाभ नहीं है। उतार कर फेंक दो इसे’। 

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अर्जुन ने जैसे ही अपने बड़े भाई के मुंह से गांडीव उतारकर फेंकने की बात सुनी, वह क्रोधित हो गए। दरअसल अर्जुन ने एक वचन लिया था कि कोई भी अपना या पराया व्यक्ति अगर उनके पवित्र और प्रिय गांडीव अस्त्र के बारे में अपशब्द बोलेगा, वह उसका सिर कलम कर देंगे। यही कारण था कि युधिष्ठिर द्वारा गांडीव की निंदा करते ही अर्जुन ने युधिष्ठिर को मारने के लिए तलवार उठा लिया। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को रोकते हुए उनसे ऐसे व्यवहार का कारण पूछा। अर्जुन ने बताया कि उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि जब भी कोई उन्हें उनके शस्त्र किसी और को देने को कहेगा तो वह उस व्यक्ति का सिर धड़ से अलग कर देंगे। 

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तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को रोकते हुए इसका तोड़ बताया। श्री कृष्ण ने कहा कि अगर अर्जुन युधिष्ठिर का अपमान कर दें तो यह उनकी हत्या करने के बराबर ही होगा क्योंकि किसी सम्मानित व्यक्ति के लिए उसका आदर ही सब कुछ होता है। श्रीकृष्ण की बात अर्जुन को समझ आ गई, उन्होंने अपने युधिष्ठिर का वध नहीं किया। मगर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए उन्हें कोई कदम उठाना था। इसलिए अर्जुन ने अपने गुरु समान बड़े भाई को ऐसे अपशब्द कहे, जो पूरे जीवन में किसी को नहीं कहे थे। इस तरह युधिष्ठिर के प्राण भी बच गए और अर्जुन का प्राण भी पूरा हो गया।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .