बिहार के जमुई में तालाब में मिली 1500 साल पुरानी सूर्यदेव की मूर्ति

By Tami

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1500 साल पुरानी सूर्यदेव की मूर्ति

धर्म संवाद / डेस्क : बिहार के जमुई में तालाब की खुदाई के दौरान 1500 साल पुरानी सूर्यदेव की मूर्ति प्राप्त हुई,जिसके बाद ग्रामीणों में कौतूहल का माहौल है. बताया जा रहा है कि तालाब से मिली मूर्ति भगवान सूर्य की है, और करीब 15 से 16 सौ वर्ष पुरानी एक दुर्लभ मूर्ति है. उसके बारे में यह बताया जा रहा है कि वह करीब आठवीं सदी के पूर्वार्द्ध की एक दुर्लभ मूर्ति है.

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यह मूर्ति बिहार के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड के सिझौड़ी गांव में मंगलवार को  मिली है. तालाब की खुदाई के दौरान मूर्ति मिलने की खबर गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई और धीरे-धीरे लोग वहां आने लगे. कुछ ही देर में मूर्ति देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई. शुरुआत में ग्रामीणों ने मूर्ति को भगवान विष्णु की मूर्ति मानकर पूजा शुरू कर दी. कुछ लोग इसे देवी लक्ष्मी की मूर्ति भी कहते हुए देखे गए. 

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आपको बता दे भगवान सूर्य की दुर्लभ प्रतिमा को 8वीं सदी के होने का अनुमान जताया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मुकुट पहने सूर्य की प्रतिमा के दोनों हाथों में कमल के फूल की आकृति है. वहीं प्रतिमा के पैर में जूता है जो सिर्फ सूर्य की प्रतिमा में ही देखने को मिलता है. मूर्ति मिलने के बाद से ही ग्रामीण उसे अपने गांव में स्थापित करने की बात कर रहे थे लेकिन बीते मंगलवार देर शाम अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी दलबल के साथ सिझौड़ी गांव पहुंचे और बिहार संग्रहालय के द्वारा प्रतिमा को संग्रहालय में रखे जाने की बात ग्रामीणों के सामने रखी. हालांकि, ग्रामीण इसको लेकर तैयार नहीं थे. इसी को देखते हुए बुधवार को इस मामले को लेकर एक बैठक बुलाई गई, जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए.

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बैठक में यह निर्णय लिया गया कि चूंकि प्राचीन काल की मूर्ति गांव में मिली है इसलिए उसे गांव में ही रहना चाहिए. ग्रामीणों ने बताया, कि खैरा प्रखंड क्षेत्र के रजला गांव में भगवान महावीर की मूर्ति मिली थी और उस मूर्ति को वहीं स्थापित किया गया है तथा वहां भगवान महावीर का भव्य मंदिर भी बनाया गया है. ऐसे ही लखीसराय के काली पहाड़ी में भी कई प्रतिमाएं मिली हैं और वहां भी मंदिर बनाया जा रहा है. सिझौड़ी गांव में भी भगवान भास्कर ने दर्शन दिए हैं, ऐसे में यहीं उनका मंदिर बनाया जाएगा. 

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एक ओर जहां प्रशासन दुर्लभ प्रतिमा को बरामद कर संग्रहालय में रखने के लिए प्रयासरत है.वहीं दूसरी ओर ग्रामीण प्रतिमा को गांव में स्थापित करने की जिद पर अड़े हैं. एसडीओ अभय कुमार तिवारी ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा सिझौड़ी गांव से बरामद प्रतिमा को दुर्लभ श्रेणी का बताया गया है.प्रतिमा को बरामद कर उसे एएसआई को सौंपा जाना है. हालांकि प्रतिमा सौंपने को लेकर ग्रामीणों के द्वारा मंगलवार देर शाम तक विरोध जताया जा रहा है.जबकि जिला प्रशासन कानूनी प्रक्रिया का पालन कर प्रतिमा की बरामद करने में जुटा है.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .