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भगवान शिव के 10 अवतार

By Tami

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भगवान शिव के 10 अवतार

धर्म संवाद / डेस्क : भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) में से एक माने जाते हैं, और उन्हें संसार के रचनाकार, पालनकर्ता, और संहारक के रूप में पूजा जाता है। पुराणों में भगवान शिव के कई अवतारों का वर्णन विभिन्न मिलता है। कहा जाता है कि  शिवजी ने कुल 19 अवतार लिए हैं परंतु उनके मुख्य 10 अवतार है। इन रूपों के माध्यम से भगवान शिव ने अपनी विविध शक्तियों और गुणों का प्रदर्शन किया। भगवान शिव के ये दस अवतार उनके विविध रूपों और शक्तियों को प्रकट करते हैं।

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  1. लिंग अवतार ( शिवलिंग) : भगवान शिव का यह रूप लिंग के रूप में प्रकट हुआ था। इसे शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है, जो शिव की निराकार शक्ति का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार, शि1.वलिंग भगवान शिव की उपासना का प्रमुख रूप है। शिवलिंग के माध्यम से भगवान शिव की शक्ति का अनुभव किया जाता है, जो समग्र ब्रह्मांड की उत्पत्ति, पालन और संहार के प्रतीक हैं।

2. भैरव अवतार: भैरव रूप भगवान शिव के उग्र रूप का प्रतीक है। इस रूप में भगवान शिव ने अपने क्रोध और विनाशक गुणों का प्रदर्शन किया। भैरव को तंत्र-मंत्र के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह रूप भगवान शिव के आतंक और भय के रूप को दर्शाता है, जो आत्मिक उन्नति के लिए जरूरी है। भैरव को उनके अनुयायी विशेष रूप से तंत्र विद्या और सिद्धि के लिए पूजते हैं।

3.नटराज अवतार: यह रूप भगवान शिव के संगीत और कला के स्वामी होने का प्रतीक है। नटराज रूप में भगवान शिव ने “ताण्डव” नृत्य किया था, जो ब्रह्मा के तीन कार्यों—सृष्टि, पालन और संहार—का प्रतिनिधित्व करता है। इस रूप में वे विश्व के विनाश और पुनः निर्माण की प्रक्रिया का दर्शाते हैं। नटराज का नृत्य शांति और संतुलन का प्रतीक है, जो ब्रह्मांड के कृत्यों को नियंत्रित करता है।

4.रुद्र अवतार: रुद्र रूप भगवान शिव का उग्र रूप है, जो विनाश और क्रोध का प्रतीक है। रुद्र शब्द का अर्थ ‘क्रोधी’ है, और यह रूप भगवान शिव के उग्र और विनाशक शक्ति का प्रतीक है। रुद्र के रूप में शिव ने आसुरी शक्तियों का नाश किया और समस्त संसार में संतुलन बनाए रखा। रुद्र से संबंधित मन्त्रों और तंत्र-मंत्रों का विशेष महत्व है।

5.महाकाल अवतार: महाकाल रूप में भगवान शिव काल और मृत्यु के देवता के रूप में प्रकट हुए। महाकाल का यह रूप समस्त सृष्टि के संहारक के रूप में पूजा जाता है। यह रूप उन सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है, जो ब्रह्मांड के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं। महाकाल मंदिर उज्जैन में स्थित है, जिसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है।

6.अर्धनारीश्वर अवतार: इस रूप में भगवान शिव आधे पुरुष और आधे महिला के रूप में प्रकट होते हैं, जो शिव और शक्ति (पार्वती) के एकत्व का प्रतीक है। यह रूप दिव्य पुरुष और स्त्री के बीच के अद्वितीय संतुलन को दर्शाता है। यह रूप दर्शाता है कि परमात्मा न तो केवल पुरुष है और न ही केवल महिला, बल्कि दोनों का सम्मिलन है। यह भगवान शिव के आदर्श संतुलन और सृजन के रूप को प्रस्तुत करता है।

7.दक्षयज्ञ विनाशक अवतार: दक्षयज्ञ विनाशक रूप में भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ को नष्ट किया था। दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया था, जिसके कारण शिव ने अपना उग्र रूप धारण किया और यज्ञ को नष्ट कर दिया। इस रूप में भगवान शिव ने यह सिद्ध कर दिया कि अहंकार और अभिमान के सामने सत्य और धर्म की शक्ति सर्वोपरि होती है।

8.नंदी अवतार : नंदी, भगवान शिव के वाहन के रूप में पूजे जाते हैं। नंदी एक बली और शक्तिशाली बैल हैं, जो शिव के परम भक्त और उनके मित्र के रूप में जाने जाते हैं। नंदी के माध्यम से भगवान शिव के भक्तों को विश्वास और भक्ति की प्रेरणा मिलती है। नंदी के रूप में शिव की शक्ति और समर्थन का प्रतीक मिलता है।

9.गंगाधर अवतार: गंगाधर रूप में भगवान शिव ने गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण किया था। गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, और शिव ने उसे अपनी जटाओं में समाहित किया ताकि वह शांति से पृथ्वी पर आए। गंगाधर रूप भगवान शिव की करुणा और शरणागत वत्सलता को दर्शाता है। गंगा के साथ शिव की जटाओं का जुड़ाव विश्व की शुद्धता का प्रतीक है।

10.कैलाशपति अवतार: भगवान शिव कैलाश पर्वत के स्वामी हैं, और कैलाश उनकी तपस्या और शांति का स्थल है। कैलाशपति रूप में भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर ध्यान और तपस्या करते हैं। यह रूप भगवान शिव की साधना और शांति का प्रतीक है, जो दिखाता है कि परम शांति और निर्वाण प्राप्त करने के लिए तप और साधना अत्यंत आवश्यक है।

    Tami

    Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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