धर्म संवाद / डेस्क : “तेरो लाल यशोदा छल गयो री” एक प्रसिद्ध भजन है जो भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं को दर्शाता है। इस भजन में यशोदा माँ के प्रति उनकी ममतामयी भावनाओं को चित्रित किया गया है, और यह भजन विशेष रूप से कृष्ण के बाल रूप के प्रति श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करता है।
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तेरो लाल यशोदा छल गयो री
मेरो माखन चुरा कर बदल गयो री
मैंने चोरी से इसे मटकी उठाते देखा
आप कहते हुए औरो को खिलते देखा
नाच कर घूम कर कुछ नीचे गिरते देखा
माल चोरी का इसे खूब लुटाते देखा
मेरे मुह पर भी माखन मेल गयो री
तेरो लाल यशोदा छल गयो री
हाथ आता ही नहीं दूर दूर रहता है
चोर है चोर ये चोरी में चूर रहता है
चोरी कर के भी सदा बेक़सूर रहता है
सर पे शैतानी का इस पे फितूर रहता है
मेरे माखन की मटकी उदल गयो री
तेरो लाल यशोदा छल गयो री
हस कर मांगता है और कभी रोता है
अपने हाथो से दही आप ही बिलोता है
ये दिन पे दिन भला क्यों इतना हटी होता है
न दो तो धुल में लौटता और सोता है
मेरो आँचल पकड़ कर मचल गयो री
तेरो लाल यशोदा छल गयो री
इसे समझ दे यशोदा ये तेरा बेटा है,
चोर ग्वालो का एक ये ही चोर नेता है,
मार पड़ती है और ये मजा लेता है
इसके बदले में जरा बंशी बज देता है,
जाया मोती कान्हा की शरण गयो री,
तेरो लाल यशोदा छल गयो री