धर्म संवाद / डेस्क : सावन के महीने में लोग झूला झूलते हैं। इस महीने में झूला झूलना काफी शुभ माना जाता है।गांवों में पेड़ों पर झूले बाँधे जाते हैं। पहले लोग घर में झूला डाल कर सावन के गीत भी गाते थे। झूला झूलने के पीछे कई पौराणिक कथाएँ मिलती हैं। इसके अलावा झूला झूलने के कुछ फायदे भी हैं ।
अगर हम धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो झूला झूलने की शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा रानी के साथ हुई थी। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को सावन के महीने में झूला झुलाया था। तब से यह परंपरा शुरू हुई थी। झूला झूलते समय श्री कृष्ण और राधा रानी को याद करते हुए भजन भी गाए जाते हैं। एक और पौराणिक मान्यता यह भी है कि भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती के लिए झूला डाला था। व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सावन के महीने में जब चारों ओर हरियाली होती है उस समय व्यक्ति का मन प्रसन्न हो जाता है। इस प्रसन्न मन से भगवान को याद करने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सावन के महीने में कई त्योहार भी मनाए जाते हैं जिनमे झूला झूलन बेहद ही शुभ माना जाता है जैसे कि नाग पंचमी और हरियाली तीज । नाग पंचमी के अवसर पर झूला झूलने का काफी ज्यादा महत्व है, इस दिन जो भी कन्या मेंहदी लगाकर झूला झूलते हुए गायन करती हैं उन्हें कई पुण्य फल मिलते हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि हरियाली तीज पर झूला झूलने से मन को काफी प्रसन्नता होती है। जो भी स्त्रियाँ हरियाली तीज पर झूला झूलती हैं उन्हे पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा झूला झूलने के कई फायदे भी होते हैं। झूला झूलने से बॉडी फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से रिलैक्स महसूस करती है। रिदमिक तरीके से बॉडी जब आगे और पीछे हिलती है, तो व्यक्ति रिलैक्स महसूस करता है। हर रोज झूला झूलने से दिन भर की थकान और स्ट्रेस दूर हो सकता है। झूला झूलने से बॉडी में हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं। इससे शरीर में स्फूर्ति आती है। झूला झूलते वक्त बाहर की नेचुरल हवा और सूरज से विटामिन डी की प्राप्ति होती है। झूला झूलने से बॉडी में वेस्टीब्युलर सिस्टम एक्टिवेट होता है, जिससे शरीर में बैलेंस पॉवर बढ़ती है।