सोशल संवाद / डेस्क : सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। साल में 12 संक्रांति आती है पर उनमे से मकर संक्रांति सबसे प्रमुख मानी जाती है। इसी दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इस दिन से सारे शुभ कार्य की शुरुआत हो जाएगी । मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान-दान बेहद फलदायी माना जाता हैं।
इस बार पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी 2024 को सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगां वहीं महापुण्य काल दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से शाम 06 बजे तक रहेगा।
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मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान किया जाता है। सूर्य और शनि की कृपा पाने के लिए तिल, गुड़, गरम कपड़े आदि का दान करते हैं । काले तिल का संबंध न्याय के देवता शनि महाराज से है और गुड़ का संबंध भगवान सूर्य से है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब शनि देव का जन्म हुआ, तो उनके पिता सूर्य देव काफी दुखी हो गए क्योंकि शनि देव का रंग काला था। उन्होंने कहा कि उनका पुत्र ऐसा नहीं हो सकता है। सूर्य देव के इस व्यवहार से छाया आहत थीं। सूर्य देव ने छाया और शनि देव को अलग कर दिया। वे दोनों कुंभ घर में रहते थे। इससे सूर्य देव नाराज हो गए और उन्होंने अपने तेज से उनके घर कुंभ को जला दिया। सूर्य के दूसरे पुत्र यमराज ने अपने तप से पिता को कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाई फिर यम के अनुरोध पर सूर्य देव पत्नी छाया और पुत्र शनि से मिलने उनके घर पहुंचे। उस दौरान शनि देव के पास काला तिल था। उससे ही उन्होंने सूर्य देव का स्वागत किया. यह देखकर सूर्य देव काफी खुश हुए।
शनि देव के व्यवहार से खुश होकर सूर्य देव उनको एक नया घर प्रदान किया, जिसका नाम मकर था। इस तरह से शनि देव 12 राशियों में से दो राशियों मकर और कुंभ के स्वामी बन गए। साथ ही सूर्य देव ने शनि को वरदान दिया कि जो लोग मकर संक्रांति के अवसर पर उनको काला तिल अर्पित करेंगे, उनके जीवन में भी सुख और समृद्धि आएगी। तभी से तिल दान कि परंपरा है।