धर्म संवाद / डेस्क : भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। उन्हें केवल गंगाजल, फूल,बेलपत्र और धतुरा चढ़कर ही प्रसन्न किया जा सकता है। महादेव को वह सभी चीज़े अति प्रिय हैं, जिन्हें भौतिक जीवन में उतना महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता। उनमे से एक है भांग। जिसे नशीला पदार्थ कहा जाता है। पर आखिर महादेव को ये प्रिय क्यों है। चलिए जानते हैं।
देखे विडियो : शिव जी को भांग और धतुरा अति प्रिय क्यूँ है
शिव महापुराण की कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कई तरह की रत्न, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी आदि निकले थे। इसके साथ अमृत से पहले हलाहल भी निकला था। हलाहल विष इतना विषैला था कि इसकी अग्नि से दसों दिशाएं जलने लगी थीं, इस विष से पूरी सृष्टि में हाहाकार मचना शुरू हो गया था। तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए विष का पान कर लिया था।
भगवान शिव ने विष को गले से नीचे नहीं उतरने दिया था, जिसकी वजह से उनका कंठ नीला पड़ गया था और उनका एक नाम नीलकंठ भी पड़ गया। विष का प्रभाव धीरे-धीरे महादेव के मस्तिष्क पर चढ़ने लगा, जिसकी वजह से वह काफी परेशान हो गए और अचेत अवस्था में आ गए। भोलेनाथ की इस तरह की स्थिति में देखकर सभी देवी-देवताओं परेशान हो गए। सबने मिलकर भगवान शिव को जल चढ़ाना शुरू कर दिया। तब माता पार्वती ने भगवान शिव का कई जड़ी-बूटियों और जल से उनका उपचार करना शुरू कर दिया। महादेव के सिर पर भांग, आक, धतूरा व बेलपत्र रखा और निरंतर जलाभिषेक करते रहे। जिसकी वजह से महादेव के मस्तिष्क का ताप कम हुआ। इसलिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन चीजों को अर्पित किया जाता है।
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आर्युवेद में भांग व धतूरा को औषधि के तौर पर बताया गया है। वहीं शास्त्रों में बेलपत्र के तीन पत्तों को रज, सत्व और तमोगुण का प्रतीक माना गया है। अगर यह सीमित मात्रा में लिया जाए तो औषधी के रूप में कार्य करता है और शरीर को गर्म रखता है। धतुरा भी शरीर को गर्म रखने का कार्य करता है और भगवान शिव कैलाश पर निवास करते हैं। धतूरे के बारे में यह कहा जाता है कि शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाते समय अपने मन और विचारों की कड़वाहट भी अर्पित करना चाहिए। इससे मन के विचार शुद्ध होने लगते हैं, तथा जीवन से कटुता दूर होती है।