धर्म संवाद / डेस्क : हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि, सुख, और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। वे घर-घर में खुशहाली और समृद्धि लाती हैं। उनके बारे में कई धार्मिक कथाएँ और विश्वास हैं, और उनका चित्रण भी विभिन्न रूपों में किया गया है। उनमें से एक विशेष बात यह है कि देवी लक्ष्मी की सवारी उल्लू हैं। आइए जानते हैं कि लक्ष्मी जी ने उल्लू को ही अपने वाहन के रूप में क्यों चुना।
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कथा के अनुसार एक बार, जब मां लक्ष्मी धरती पर आईं, तब सभी पशु-पक्षी उनका वाहन बनने के लिए तैयार हो गए। तब मां लक्ष्मी ने सभी पशु-पक्षियों से कहा कि कार्तिक अमावस्या के दिन मैं पृथ्वी पर आऊंगी और जो भी पक्षी या जानवर सबसे पहले मेरे पास पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी। कार्तिक अमावस्या की रात को सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मी जी की राह देखने लगे। परंतु अंधेरा होने की वजह से किसी को भी मां लक्ष्मी नहीं दिखी। अमावस्या की काली रात में देवी लक्ष्मी जब धरती पर पधारीं, तभी उल्लू ने काले अंधेरे में भी अपनी तेज नजरों से उन्हें देख लिया और तीव्र गति से उनके समीप पहुंच गया। उसके बाद वह उनसे प्रार्थना करने लगा कि वह उसे अपना वाहन बना लें। मां लक्ष्मी ने चारों ओर देखा तो उन्हें कोई और पशु-पक्षी नहीं दिखा, इसलिए उन्होंने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार कर लिया। इसी वजह से उन्हें उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।
लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू होने के पीछे कई अलग-अलग व्याख्याएँ और प्रतीकात्मकताएँ भी हैं।
- ज्ञान और विवेक का प्रतीक: उल्लू को प्राचीन भारतीय संस्कृति में ज्ञान और विवेक का प्रतीक माना जाता है। उल्लू रात में देख सकता है, इसलिए इसे अंधकार से प्रकाश की ओर मार्गदर्शन करने वाली शक्ति के रूप में देखा जाता है। लक्ष्मी जी, जो समृद्धि, धन, और सुख-शांति की देवी हैं, के साथ उल्लू का जुड़ाव यह दर्शाता है कि धन और समृद्धि सही विवेक और ज्ञान के साथ आती है।
- सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का संतुलन: उल्लू रात का पक्षी है और रात का समय अंधकार का प्रतीक होता है, जबकि लक्ष्मी जी का संबंध समृद्धि और प्रकाश से होता है। इसका अर्थ यह है कि लक्ष्मी जी अपने भक्तों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले आती हैं, अर्थात् समृद्धि और सुख के साथ जीवन को उज्जवल बनाती हैं।
- शक्ति और साहस: उल्लू को शांति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वह एक शांतिपूर्ण और आत्मनिर्भर पक्षी होता है, जो अपनी ज़िंदगी में किसी पर निर्भर नहीं रहता। लक्ष्मी जी का उल्लू पर सवारी करना यह संकेत देता है कि लक्ष्मी जी अपने भक्तों को आत्मनिर्भरता और सफलता की ओर मार्गदर्शन करती हैं।
उल्लू का जीवन चक्र भी देवी लक्ष्मी के संदेश के साथ मेल खाता है। उल्लू प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक है, और यह सभी परिस्थितियों में अपने अस्तित्व को बनाए रखता है। इसी तरह, लक्ष्मी जी भी सभी परिस्थितियों में अपने भक्तों को सहयोग देती हैं और उनकी समृद्धि और सुख की दिशा को सुनिश्चित करती हैं।
स्वामी विवेकानन्द जब अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में व्याख्यान दे रहे थे तब एक अमेरिकी ने उनसे पूछा था कि ल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन बताने के पीछे क्या वैज्ञानिक तर्क है?” उस व्यक्ति का प्रश्न सुनकर स्वामी जी ने बड़ी सहजता से कहा, “भारत में पश्चिमी देशों की तरह धन को ही सब कुछ नहीं माना जाता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने चेतावनी दी है कि जैसे ही लक्ष्मी रूपी धन असीमित मात्रा में आता है, मनुष्य आंखें होते हुए भी उल्लू की तरह अंधा हो जाता है। इसी बात को इंगित करने के लिए लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू बताया गया है। इसके पीछे यही वैज्ञानिक तर्क है। ”