धर्म संवाद / डेस्क : श्री कृष्ण ने बाल्यकाल में कई लीलाएं रची थी। कई असुरों को वध किया था और कई बार वृन्दावन वासियों की रक्षा की थी। पर एक बार उन्होंने वृन्दावन की रक्षा एक असुर या राक्षस से नहीं बल्कि देवराज इंद्र से भी की थी। उस समय उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपने छोटी ऊँगली पर उठाया था। परन्तु क्या आप सबने सोचा है की श्री कृष्ण ने अपनी छोटी ऊँगली में ही गोवर्धन को धारण क्यों किया ।इसके पीछे एक कारण है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन पर्वत उठाना था तो उन्होंने अपनी उंगलियों से पूछा कि वे किस पर पर्वत उठाएं। इस पर अंगूठा बोला, ‘‘मैं नर हूं। बाकी उंगलियां तो स्त्रियां हैं अत: आप पर्वत मुझ पर ही उठाएं।’’ फिर श्री कृष्ण ने तर्जनी उंगली से पूछा तो वह बोली, ‘‘किसी को अगर चुप कराना हो या कोई इशारा करना होता है तो मैं ही काम आती हूं, इसलिए आप सिर्फ मुझ पर ही पर्वत उठाएं।’’ जब श्री कृष्ण ने मध्यमा से पूछा तो वह बोली, ‘‘सबसे बड़ी होने के साथ-साथ मैं ताकत भी रखती हूं। अत: आप पर्वत उठाने के लिए मेरा ही उपयोग करें। फिर मुरलीधर ने अनामिका उंगली से पूछा तो वह बोली, ‘‘सभी पवित्र कार्यों के लिए मेरा उपयोग किया जाता है। मंदिरों में देवी-देवताओं को मैं ही तिलक लगाती हूं, अत: आप मुझ पर ही पर्वत उठाएं।’’
अंत में बारी आई सबसे छोटी उंगली कनिष्ठा की। इस पर कनिष्ठा ने रोते हुए कहा कि में सबसे छोटी हूं,मेरे पास कोई गुण नहीं है । मुझे तो बस इतना पता है कि मै आपकी हूँ।छोटी उंगली की बात सुनकर श्री कृष्ण ने कहा कि मुझे विनम्रता सबसे प्रिय है। अगर कुछ पाना है तो विनम्र बनना पड़ेगा। तब श्री कृष्ण ने छोटी उंगली को सम्मान देते हुए उसी पर गोवर्धन पर्वत धारण किया।
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इसके अलावा माना जाता है कि गोवर्धन को एक उंगली पर उठाने के पीछे योग छुपा है। दरअसल हमारे हाथ की उंगलियों में 5 तत्व पाए जाते हैं । कहते हैं – अंगुष्ठा अग्नि, तर्जनी वायु, मध्यमा आकाश, अनामिका पृथ्वी व कनिष्ठा अंगुली जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। यही कारण है कि इंद्र के मूलाधार वर्षा का उत्तर भगवान श्री कृष्ण से जल तत्व से ही किया।