कौन थी देवों और असुरों की माँ, जाने इनकी उत्पत्ति की कथा

By Tami

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देवों और असुरों

धर्म संवाद / डेस्क : हिन्दू धर्म में देवताओं और असुरों के बीच  की दुश्मनी बेहद प्रसिद्ध है। इनकी उत्पत्ति की कथा पुराणों में वर्णित है।आपको जानकार आश्चर्य होगा देवताओं के सौतेले भाई हैं दैत्य।  जी हा देवों और असुरों के पिता एक ही है। उनका नाम है ऋषि कश्यप। देवता देवलोक में अपने जीवन का आनंद लेते थे, लेकिन पाताल में असुरों को कष्टों में रहना पड़ा। बृहस्पति देव, देवताओं के गुरु बने और गुरु शुक्राचार्य असुरों के। चलिए जानते है कैसे हुआ देवों और असुरों का जन्म।

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पुराणों में वर्णन मिलता है ऋषि कश्यप की 13 पत्नियां थीं, उनमें से अदिति और दीति को सुर-असुर की माता के रूप में जाना जाता है। महादेव के आशीर्वाद से ऋषि कश्यप की पत्नी अदिति ने 12 आदित्यों को जन्म दिया, जिन्हें देवता कहा गया, जबकि दिति ने 2 पुत्रों हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप को जन्म दिया। दिति के पुत्र होने के कारण इन्हें दैत्य कहा गया।

ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की, तब सभी हिंसक-अहिंसक जीव-जंतुओं और मनुष्यों को जमीन पर रहने भेजा।  देवताओं को आकाश में रहने भेजा और राक्षसों को धरती के जीवों और देवताओं की रक्षा के लिए आकाश और जमीन के बीच में रहने के लिए भेजा। रक्षा करने की प्रवृत्ति के कारण ही इन्हें राक्षस कहा गया। ऋग्वेद में 105 बार राक्षस शब्द का उपयोग अच्छे अर्थ में किया गया है। बताया जाता है कि पहले राक्षस धरती और आकाश में रहने वाले प्राणियों की रक्षा करते थे, लेकिन धीरे-धीरे इन राक्षसों में अपनी शक्ति और बल का अहंकार आने लगा। जिस कारण इन्होंने देवताओं और जीवों को परेशान करना शुरू कर दिया।

भगवान विष्णु ने राक्षसों के वध के लिए धारण किया था अवतार

दोनों हिरण्यकश्यप (हिरण्यकशिपु) और हिरण्याक्ष को मारने के लिए ‍भगवान विष्णु को अवतार लेना पड़ा था।  हिरण्याक्ष का वध भगवान विष्णु के वराह अवतार के द्वारा किया गया , जबकि हिरण्यकश्यप का वध भी भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार के द्वारा किया गया । 

हिरण्यकश्यप का पुत्र था विष्णु भक्त

हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु का महान भक्त माना जाता है। प्रह्लाद के पुत्र विरोचन हुए और विरोचन के पुत्र दैत्यराज बलि हुए। दैत्यराज बलि ने जब देवताओं से तीनों लोकों को जीत लिया तब उनसे स्वर्ग और पृथ्वी लोक को वापस लेने के लिए विष्णु के अवतार के रुप में भगवान वामन का जन्म हुआ । वामन अवतार के रुप मे भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पगों के रुप में तीनों लोक ले लिये। राजा बलि को वामन भगवान ने अमरता का वरदान दिया और उन्हें पताललोक का राजा बना दिया।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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