Do you want to subscribe our notifications ?

महाकुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले करता है स्नान? जाने इसे तय करने की पद्धती

By Tami

Published on:

महाकुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले करता है स्नान?

धर्म संवाद / डेस्क : शाही स्नान या अमृत स्नान महाकुंभ में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस पवित्र स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत इस अनुष्ठान में भाग लेते हैं। महाकुंभ के शाही स्नान को इस बार नाम मिला है अमृत स्नान का। क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ  में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले स्नान करता है और इस क्रम को कैसे तय किया जाता है? आइए जानते हैं ।

यह भी पढ़े : आखिर क्यों नागा साधु शाही स्नान से पहले करते हैं 17 श्रृंगार? जाने इस अद्भुत परंपरा का अर्थ

स्थापित परंपरा के अनुसार, अंग्रेजी राज के दौरान ही सभी अखाड़ों ने आपसी सहमति से स्नान को लेकर एक संहिता बनाई थी। प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ और कुंभ के दौरान सबसे पहले पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े को शाही स्नान की अनुमति है। वहीं हरिद्वार में कुंभ लगने पर निरंजनी अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता है। उज्जैन और नासिक में जब भी कुंभ मेला लगता है तो जूना अखाड़े को सबसे पहले शाही स्नान करने की अनुमति है। 

आपको बता दे प्रत्येक अखाड़े का अपना एक अलग इतिहास और महत्व है। इन इतिहासों और परंपराओं के आधार पर ही स्नान का क्रम तय किया गया है। कुंभ स्नान के दौरान जिस अखाड़े का स्नान का नंबर होता है। सबसे पहले उस अखाड़े के सर्वोच्च पद पर आसीन आचार्य महामंडलेश्वर या महंत स्नान के लिए पानी में उतरते हैं। इसके बाद वे अपने अखाड़े के इष्ट देव को पवित्र नदी में स्नान करवाते हैं और फिर स्वयं डुबकी लगाते हैं। उनके स्नान के बाद उस अखाड़े के बाकी साधु-संत भी नदी में उतरकर स्नान करते हैं।

उनके स्नान के बाद सभी 13 अखाड़ों के नागा साधु-संत एक साथ पवित्र नदी में उतरकर स्नान करते हैं। नागा साधुओं का स्नान संपन्न होने के बाद आम लोगों को नदी में डुबकी लगाने की अनुमति प्रदान की जाती है। जब तक साधु-संत स्नान नहीं कर लेते, तब तक आम लोगों को प्रतीक्षा करनी पड़ती है।  हाल के समय में किन्नर अखाड़े को भी आधिकारिक मान्यता मिली है। किन्नर अखाड़ा भी अब महाकुंभ में भाग लेता है ।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

Exit mobile version