धर्म संवाद / डेस्क : महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है और शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसे भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में भव्य शिव बारात भी निकाली जाती है। इस बार चतुर्दशी तिथि दो दिन तक पड़ने के कारण तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
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वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में बहुत से व्रत-त्योहार को उदया तिथि के आधार पर मनाने की परंपरा है। हालांकि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का पूजन और जलाभिषेष रात्रि में करने के विधान है इसलिए 26 फरवरी को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।
महा शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
- निशिता काल पूजा समय – 12:37 पूर्वाह्न से 01:29 पूर्वाह्न, 27 फरवरी
- 27 फरवरी को, शिवरात्रि पारण समय – 07:36 पूर्वाह्न, 27 फरवरी
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 06:30 बजे से रात 09:46 बजे तक
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 09:46 अपराह्न से 01:03 पूर्वाह्न, 27 फरवरी
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 01:03 पूर्वाह्न से 04:20 पूर्वाह्न, 27 फरवरी
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – प्रातः 04:20 से प्रातः 07:36 तक, 27 फरवरी
- चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 26 फरवरी 2025 को प्रातः 06:38 बजे से
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – 27 फरवरी 2025 को प्रातः 04:24 बजे
महाशिवरात्रि व्रत में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-वैसे तो पूरे दिन ही भगवान शिव की पूजा होती है और जलाभिषेक किया जाता है. लेकिन इस दिन रात्रि पहर की पूजा का खास महत्व होता है. साथ ही इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने से भी विशेष फल प्राप्त होता है. चार प्रहर में धन, यश, प्रतिष्ठा व समृद्धि के लिए भगवान शिव की चारों प्रहर की पूजा आराधना करना चाहिए.इस दिन शिव आराधना करने से मोक्ष, सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह आत्मशुद्धि और बुरी प्रवृत्तियों से मुक्ति पाने का दिन माना जाता है।