क्या है विदुर निति, जाने क्यों नहीं बन पाए थे विदुर राजा

By Tami

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विदुर

धर्म संवाद / डेस्क : महाभारत में विदुर जी एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी बुद्धिमानी और सोच उन्हें कौरवों में सबसे भिन्न बनाती थी. उन्हें शास्त्रों , वेदों और राजनीति का बहुत अच्छा ज्ञान था। उनकी नीति, जिसे आज हम विदुर नीति कहते हैं बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती थी। वे वेदों में भी पारंगत थे. एक राजा के सारे गुण उनमे थे पर फिर भी उन्हें राजसिंघासन नहीं मिला। और इसका कारण था उनका दासी पुत्र होना। जी हाँ विदुर महर्षि वेद व्यास के पुत्र थे परंतु इनका जन्म दासी के गर्भ से हुआ था।

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माना जाता है कि मांडव्य ऋषि के शाप से  यमराज ने ही दासी-पुत्र के रूप में धृतराष्‍ट्र तथा पांडु के भाई होकर जन्म लिया था। यमराज भागवताचार्य हैं। अपने इस रूप में मनुष्य रूप में जन्‍म लेकर भी वे भगवान के परम भक्त  तथा धर्मपरायण ही रहे। विदुर महाराज ध्रितराष्ट्र के मंत्री थे और सदा इसी प्रयत्‍न में रहते थे कि महाराज धर्म का पालन करें। वे नीतिशास्त्र के महान पण्डित और प्रवर्तक थे। धृतराष्ट्र सिर्फ नाम का राजा था,वो सिर्फ दृष्टि से ही नहीं, हर मामले में अंधा था। दासी से जन्म लेने के कारण विदुर ना तो राजा बन सकते थे और ना ही युद्धकला सीखकर योद्धा बन सकते थे, क्योंकि युद्धकला सिर्फ क्षत्रियों को सिखाई जाती थी।

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ये हस्तिनापुर के महामंत्री थे इसलिए महाराज धृतराष्ट्र इनसे महत्वपूर्ण विषयों पर सलाह लेते थे और हर बात पर खुलकर चर्चा करते थे। विदुर जी और धृतराष्ट्र के मध्य की चर्चा की महत्वपूर्ण बातें विदुर नीति के रूप में जानी जाती हैं। महात्मा विदुर ने सत्य के साथ-साथ व्यवहार, धन और कर्म को भी विदुर नीति में सम्मिलित किया है।

विदुर जी अपनी नीति कहते हैं कि जीवन में तरक्की, मान-सम्मान और आर्थिक उन्नति के लिए लोगों को पांच लोगों की सेवा बड़ी श्रद्धा और लगन से करनी चाहिए। उनके आशीर्वाद और प्रेम से जीवन धन्य हो जाता है और उसे हर क्षेत्र में मान-सम्मन के साथ सफलता भी मिलती है। और वो हैं माता ,पिता,गुरु,आत्मा और अग्नि ।

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विदुर जी ये भी कहते हैं कि  जो विद्या की प्राप्ति चाहता है वह सुख विमुख रहता है। इसलिए अगर आप सुख की इच्छा रखते हैं तो आपको विद्या अर्जित करने का विचार छोड़ना होगा और यदि आप विद्या चाहते हैं तो जीवन में सुख का त्याग करना होगा। विद्या अर्जित करने में परिश्रम और त्याग की जरूरत होती है। अभी किए त्याग से ही बाद में ज्ञानी व्यक्ति धन और सम्मान से पूर्ण होता है।

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विदुर नीति के अनुसार, जो लोग बिना किसी आलस्य के अपनी बुद्धि और क्षमता के प्रयोग से कर्म करते हैं उन्हें जीवन में धन की समस्या कभी नहीं सताती। इसलिए व्यक्ति को हर समय सक्रिय रहकर समझदारी के साथ काम करते रहना चाहिए। वहीं, आवेश में आकर  कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। क्योंकि बाद में इसका नुकसान झेलना पड़ता है। यदि आप चाहते हैं कि घर में हमेशा धन की बरकत बनी रहे और मां लक्ष्मी जी की कृपा बरसती रहे तो धन को बहुत सोच समझकर खर्च करना चाहिए। साथ ही भविष्य के बारे में भी सोचते हुए कौशलपूर्वक धन खर्च करना चाहिए। महात्मा विदुर के अनुसार, हमेशा कल की चिंता करते हुए धन खर्च करना चाहिए।

विदुर नीति को उन लोगों के बीच सबसे अच्छा माना जाता है, जो धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं। विदुर सत्य, ज्ञान, साहस, ज्ञान, निष्पक्ष निर्णय और धर्म के व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। यही कारण है उन्हें महाभारत के पवित्र व्यक्ति माना जाता है। वे एक नेक इंसान थे और हर किसी का सम्मान करते थे। वे ये सिद्ध करते हैं कि आपका जन्म आपको महान नहीं बनाता बल्कि आपके फैसले और आपके जीवन जीने का तरीका आपको महान बनाता है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .