साधु-संत अक्सर लंबी-लंबी जटाओं में देखे जाते हैं.

इन जटाओं को रखने के पीछे कई धार्मिक,आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण होते हैं.

हिंदू धर्म में लंबे बालों को आध्यात्मिक ऊर्जा, त्याग और तपस्या से जोड़कर देखा गया है.

जाप, तप और अनुष्ठान करते वक्त ब्रह्मांड की ऊर्जा का समावेश उन जटाओं में हो जाता है.

भगवान भोलेनाथ भी सांसारिक मोह माया से दूर कैलाश पर लंबी जटाओं के साथ रहते थे.

साधु-संन्यासी लंबी जटाओं को रखकर प्रभु की भक्ति के मार्ग का अनुसरण करते हैं.

बाल कटवाना गृहस्थ जीवन का कर्म माना जाता है. वैराग्य में बाल, दाढ़ी कटवाने का कोई प्रबंध नहीं है.

साधु-संत सांसारिक मोह माया शेड्यूल सामाजिक जीवन छोड़कर प्राकृतिक जीवन जीते हैं, इसलिए उन्हें हर प्रकार के मौसम में रहना होता है.

लम्बी जटाओं से उन्हें मौसम का लाभ मिल जाता है.

गर्मी में अधिक ताप और सर्दियों में अधिक ठण्ड से भी उन जटाओं से बचाव होता है.