सनातन धर्म में ॐ को बहुत ही प्रभावशाली माना गया है। ॐ हिंदू समेत विभिन्न धर्मों का पवित्र चिह्न है।
ॐ शांति का प्रतीक है।। यह शब्द हमारे मन के अंदर है और बाहर भी है।
अधिकतर मंत्रों की उत्पत्ति भी ओम से ही हुई। इसमें पूरे ब्रह्मांड का सार निहित है।
भागवत गीता में कहा गया है कि जो व्यक्ति ॐ का उच्चारण करते हुए अपने शरीर का त्याग करता है, वह परमगति को प्राप्त होता है।
यदि सही प्रकार से पूर्ण ध्यान लगाकर ॐ का जाप किया जाए तो इससे आपको सकारात्मकता, शांति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि नियमित रूप से ॐ का जाप करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
माना जाता है कि संसार के अस्तित्व में आने से पहले जिस प्राकृतिक ध्वनि की गूंज हुई थी वह ॐ की ही थी। यही कारण है कि इसको ब्रह्मांड की आवाज भी कहा गया है।
ॐ के जाप से अशांत मन भी शांत और स्थिर होता है।
‘ॐ’ का उच्चारण करते समय जब ‘म’ की ध्वनि मुख से निकलती है तो इससे हमारे मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है और इससे व्यक्ति की मानसिक शक्तियों का विकास होता है।