सावन के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवर यात्रा की जाती है।

आपको बता दे  कांवड चार तरह की होती है और हर कांवड़ के अपने अलग नियम और महत्व होते हैं।

सामान्य कांवड़ : यात्री जहां चाहे रुककर आराम कर सकते हैं। बस आराम करने के दौरान कांवड़ जमीन से नहीं छूनी चाहिए।

डाक कांवड़ : यात्री शुरुआत से शिव के जलाभिषेक तक बगैर रुके लगातार चलते रहते हैं वे रुक नहीं सकते

खड़ी कांवड़ : जो भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। उनकी मदद के लिए कोई-न-कोई सहयोगी उनके साथ चलता रहता है।

दांडी कांवड़ : भक्त नदी तट से शिवधाम तक की यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं।