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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा: मुर दैत्य वध और देवी एकादशी के प्राकट्य की कथा

By Tami

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Utpanna Ekadashi Vrat Katha

धर्म संवाद / डेस्क : उत्पन्ना एकादशी को सभी एकादशियों का प्रारंभ माना जाता है, और इसकी उत्पत्ति से जुड़ी कथा अत्यंत प्रेरणादायक और चमत्कारिक है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार यह कथा सतयुग की है, जब मुर नामक एक अत्यंत क्रूर और शक्तिशाली दैत्य ने अपना आतंक फैला रखा था।

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मुर इतना पराक्रमी था कि उसने देवताओं को पराजित कर स्वर्गलोक पर कब्जा कर लिया था। बढ़ता अत्याचार देखकर देवता भयभीत हो गए और सहायता की तलाश में भगवान शिव के पास पहुँचे। शिवजी ने उन्हें सलाह दी कि इस संकट से मुक्ति केवल भगवान विष्णु ही दे सकते हैं।

भगवान विष्णु और मुर दैत्य के बीच भयंकर युद्ध

देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु तुरंत मुर के संहार के लिए तैयार हुए। वे देवताओं को साथ लेकर चन्द्रवती नगरी पहुँचे जो मुर दैत्य का मुख्य राज्य था। वहाँ विष्णु और मुर के बीच लंबा और भीषण युद्ध छिड़ गया। दिनों तक चले इस संग्राम में मुर बार-बार अपनी मायावी शक्तियों से युद्ध को और भयावह बनाता रहा। जब युद्ध का कोई अंत नहीं दिखा, तब भगवान विष्णु थोड़ी देर विश्राम करने के लिए बद्रिकाश्रम की हेमवती गुफा में चले गए।

दैत्य मुर का हमला और दिव्य कन्या का प्राकट्य

भगवान विष्णु के पीछे-पीछे मुर भी उसी गुफा में पहुँच गया। जैसे ही उसने विश्रामरत विष्णु पर वार करने के लिए अस्त्र उठाया, तभी एक अद्भुत तेजस्विनी कन्या अचानक विष्णु के शरीर से प्रकट हुई।

उस कन्या का तेज और शक्ति देखकर मुर भयभीत हो गया। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, उस दिव्य कन्या ने क्षणभर में मुर दैत्य का वध कर दिया।

भगवान विष्णु का वरदान: एकादशी का जन्म

जब भगवान विष्णु की आँखें खुलीं और उन्होंने मुर को मरा देखा, तो वे उस तेजस्विनी कन्या की वीरता से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने प्रेमपूर्वक कहा: “तुम मेरे शरीर से प्रकट हुई हो, इसलिए तुम्हें ‘एकादशी’ कहा जाएगा। तुम्हारा जन्म एकादशी तिथि पर हुआ है, इसलिए आज से यह तिथि तुम्हारी होगी। जो भी व्यक्ति श्रद्धा से एकादशी व्रत करेगा, उसे मोक्ष और अपार पुण्य की प्राप्ति होगी।”

भगवान विष्णु ने आगे यह भी कहा कि “एकादशी व्रत मुझे अत्यंत प्रिय है। इसकी महिमा अन्य सभी व्रतों और उपासनों से श्रेष्ठ मानी जाएगी।” इस प्रकार देवी एकादशी का प्राकट्य हुआ और उत्पन्ना एकादशी का व्रत संसार में आरंभ हुआ।

उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व

  • पापों का क्षय होता है
  • संकटों से मुक्ति मिलती है
  • मन और शरीर में शुद्धता आती है
  • जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता बढ़ती है
  • मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है

इसी कारण उत्पन्ना एकादशी को सभी एकादशियों की जननी कहा गया है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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