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भगवान शिव के पुत्र अयप्पा स्वामी की कथा

By Tami

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भगवान शिव के पुत्र अयप्पा स्वामी की कथा

धर्म संवाद / डेस्क : मुख्यतः भगवान शिव के 2 पुत्र माने जाते हैं- भगवान गणेश एवं भगवान कार्तिकेय. परंतु भगवान शिव के 2 नहीं कई पुत्र थे- सुकेश, जलंधर, भौम आदि. उन्हीं में से एक अयप्पा स्वामी भी थे. अयप्पा स्वामी के जन्म की कथा बड़ी ही रोचक है. भगवान अयप्पा, भगवान शिव और भगवान विष्णु के पुत्र हैं. यप्पा स्वामी की कथा एक बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय धार्मिक कथा है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत में प्रचलित है.

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अयप्पा स्वामी के जन्म की कथा बहुत दिलचस्प है. मान्यता है कि भगवान शिव और भगवान विष्णु के मिलन से अयप्पा का जन्म हुआ था. समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान विष्णु ने मोहिनी  रूप धारण किया तब शिव जी उनपर मोहित हो गए और उनका वीर्यपात हो गया. इसके प्रभाव से स्वामी अयप्पा का जन्म हुआ. इसलिए अयप्पा देव को हरिहरन भी कहा जाता है. मान्यता है कि अयप्पा स्वामी का जन्म महिषासुर की बहन महिषी का वध करने के लिए हुए था, क्योंकि उसे वरदान प्राप्त था कि वह केवल भगवान शिव और श्री विष्णु के पुत्र के द्वारा ही मारी जएगी.

कथाओं के मुताबिक भगवान शिव और विष्णु जी के अंश ने एक पुत्र रूप ले लिया और उस बच्चे को पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया गया। जिसके बाद पंडालम के राजा राजशेखर ने इन्हें अपना लिया. राजा संतानहीन थे ऐसे में उन्होंने पुत्र की तरह स्वामी अयप्पा का लालन-पालन किया. कुछ समय बाद जब राजा राजशेखर की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया तब रानी का व्यवहार स्वामी अयप्पा के लिए बदल गया. राजा स्वामी अयप्पा को बहुत स्नेह करते थे इसलिए रानी को डर था कि कहीं वे अपनी राजगद्दी उसे ही न दे दें. ऐसे में रानी ने बीमारी का नाटक कर अयप्पा तक सूचना पहुंचाई कि वह केवल बाघिन का दूध पीकर ही ठीक हो सकती हैं. इसके पीछे वन में रह रही राक्षसी महिषी द्वारा अयप्पा की हत्या कराने की उनकी चाल थी. 

जब स्वामी अयप्पा अपनी माता के लिए बाघिन का दूध लेने वन में गए. तब वहां महिषी ने उन्हें मारना चाहा लेकिन स्वामी अयप्पा ने उसका वध कर दिया और मां के लिए बाघिन का दूध नहीं लाए बल्कि बाघिन की सवारी करते हुए बाघिन ही ले आए. ऐसे में लोग उन्हें जीवित और बाघिन की सवारी करते देखकर हैरान रह गए और सभी स्वामी अयप्पा के जयकारे लगाने लगे. राजा समझ गए कि उनका पुत्र कोई साधारण मनुष्य नहीं है. उन्होंने रानी के बुरे बर्ताव के लिए उनसे क्षमा मांगी. ऐसे में स्वामी अयप्पा ने अपने पिता को परेशान देखकर राज्य छोड़ने का निर्णय लिया. ऐसे में जब पिता अनुरोध करने लगे तब उन्होंने पिता से सबरी पहाड़ियों में मंदिर बनवाने की बात कही और स्वर्ग चले गए.

भारतीय राज्य केरल में शबरीमलई में अयप्पा स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां विश्‍वभर से लोग शिव के इस पुत्र के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है. इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है इसके साथ शोर भी सुनाई देता है.भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे जलाते हैं. मंदिर प्रबंधन के पुजारियों के मुताबिक मकर माह के पहले दिन आकाश में दिखने वाले एक खास तारा मकर ज्योति है.

साबरी माला यात्रा के दौरान भक्त मालया पहनते हैं और चुपचाप, संयमित जीवन जीने की प्रतिज्ञा लेते हैं. यात्रा में आने वाले भक्तों को 41 दिन का कठिन व्रत करना होता है जिसमें वे केवल शाकाहारी भोजन खाते हैं, मांसाहार और मदिरा से दूर रहते हैं. यह व्रत श्रद्धा और संयम का प्रतीक माना जाता है.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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