शिवबाड़ी मंदिर: जहाँ महादेव बालक बनकर खेलने आते थे

By Tami

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शिवबाड़ी मंदिर: जहाँ महादेव बालक बनकर खेलने आते थे

धर्म संवाद / डेस्क : भारत में प्राचीन मंदिरों और उनकी कथाओं का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। ऐसे ही एक प्रसिद्ध मंदिर के रूप में “शिवबाड़ी मंदिर” का नाम लिया जाता है। यहाँ भगवान शिव एक पवित्र पिंडी के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसे पांडवों के समय स्‍थापित किया गया था। प्राचीन काल से मान्यता है कि शिवबाड़ी क्षेत्र से लकड़ी काटना वर्जित है। यहां की लकड़ी का प्रयोग केवल दाह संस्कार के लिए करने की अनुमति है। 

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किंवदंतियों के अनुसार, यह क्षेत्र पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य का प्रशिक्षण स्थल हुआ करता था। गुरु द्रोणाचार्य हर रोज स्वां नदी में स्नान करने के लिए जाते और उसके उपरांत भगवान के दर्शनार्थ हिमालय पर्वत को जाया करते थे। उनकी पुत्री जिसका नाम ‘यज्याती’ था को वह प्रेम से ‘याता’ के नाम से पुकारते थे। वह अपने पिता से रोज पूछा करती थी कि आप स्नान के बाद रोज कहां जाते हैं? वह भी उनके साथ जाने की जिद किया करती। याता के बाल हठ को समझते हुए द्रोणाचार्य ने उसे बताया कि वह रोज भगवान शंकर के दर्शन करने जाते हैं और किसी दिन उसे अपने साथ ले जाने का वायदा भी किया। तब तक याता को ॐ नम शिवाय’ मंत्र का जाप करने को कहा।

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जज्याति ने शिवबाड़ी में ही मिट्टी का शिवलिंग बना लिया और उसकी पूजा करने लगी। उसकी निस्वार्थ तपस्या देख भगवान शिव बालक के रूप में रोजाना उसके पास आने लगे और उसके साथ खेलने लगे। बाद में जज्याति ने यह बात अपने पिता को बताई। अगले दिन गुरु द्रोणाचार्य कैलाश पर्वत पर न जाकर वहीं पास में छिप कर बैठ गए। जैसे ही वह बालक जज्याति के साथ खेलने पहुंचा तो गुरु द्रोणाचार्य उस बालक के प्रकाश को देख कर समझ गए कि यह तो साक्षात भगवान शिव हैं।

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उसके बाद गुरु द्रोणाचार्य बालक के चरणों में गिर गए और भगवान ने साक्षात उन्हें दर्शन दे दिए। भगवान ने कहा कि यह बच्ची उनको सच्ची श्रद्धा से बुलाती थी इसलिए वह यहां पर आ जाते थे। बाद में जज्याति ने भगवान शिव से वहीं रहने की जिद कर डाली। तब भगवान शिव ने वहां पिंडी के रूप में स्थापित हो गए और वचन दिया कि हर वर्ष बैसाखी के दूसरे शनिवार यहां पर विशाल मेला लगा करेगा और उस दिन वह इस स्थान पर विराजमान रहा करेंगे। तत्पश्चात इस मंदिर की स्थापना हुई।

शिवबाड़ी में अद्भुत शिवलिंग की विशेषता है कि यह धरती के अंदर की ओर स्थित है जबकि भगवान का शिवलिंग ऊपर की तरफ उठा होता है।  मंदिर से कुछ दूरी पर एक जल स्त्रोत में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।  इस मंदिर में बैसाखी के बाद आने वाले दूसरे शनिवार को वह दिन माना जाता है जब भगवान शिव पूरा दिन यहां रह कर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .