धर्म संवाद / डेस्क : नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा- अर्चना की जाती है. माँ शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है. माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है. मां सफ़ेद वस्त्र पहनती हैं उनके के माथे पर चंद्रमा सुशोभित है. माता वृषभ पर सवार है. माता शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है. माता की पूजा के बाद उन्हें प्रसन्न करने के लिए करे यह आरती.
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शैलपुत्री माँ बैल असवार।करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी।तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें।जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी।आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो।सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे।शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो।चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥