धर्म संवाद / डेस्क : तुलसी माता की आरती का अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय अर्धांगिनी हैं, इसलिए तुलसी की आरती करने से विष्णु-लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है। देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह के दिन तुलसी आरती विशेष फलदायी मानी जाती है, क्योंकि यह शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है। तुलसी की आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, रोग-दोष और कलह दूर होते हैं, तथा वातावरण पवित्र बनता है। यह न केवल भक्ति और श्रद्धा का भाव जगाती है बल्कि मन को शांति और संतुलन प्रदान करती है। कहा गया है कि जहाँ तुलसी माता का पूजन और आरती होती है, वहाँ श्रीहरि विष्णु का स्थायी वास होता है और घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति का प्रवाह बना रहता है।
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जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।। – मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता। -मैय्या जय तुलसी माता।।बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। – मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता। -मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। – मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी। प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता। मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥ – मैय्या जय तुलसी माता।।






