धर्म संवाद / डेस्क : महाकुंभ हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। महाकुंभ एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थयात्रा है, जो हर 12 वर्ष में आयोजित की जाती है। इसे विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृति और धार्मिक मेला माना जाता है। ये मेला इलाहाबाद (प्रयागराज), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। यह मेला न केवल लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र होता है, बल्कि इसके वैज्ञानिक महत्व पर भी कई शोध और विचार प्रस्तुत किए गए हैं। महाकुंभ का वैज्ञानिक महत्व काफी गहरा है, जो समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से परे है।
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आपको बता दे कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है और साल 2025 का महाकुंभ 12 कुंभ होने के बाद 144 साल बाद आयोजित होने वाला महाकुंभ है। हर परिवार की तीसरी पीढ़ी को महाकुंभ देखने का मौका मिलता है। महाकुंभ का समय और आयोजन एस्ट्रोनॉमिकल घटनाओं पर आधारित है। यह मेला तब आयोजित होता है जब गुरु ग्रह, सूर्य और चंद्रमा के विशेष संयोग में होता है। महाकुंभ के आयोजन के समय सूर्य मकर राशि में, चंद्रमा मेष राशि में, और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है।
महाकुंभ के आयोजन के समय और स्थान को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर चुना जाता है। कुम्भ के लिए जो नियम निधार्रित हैं उसके अनुसार प्रयागराज में कुम्भ तब लगता है माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरु मेष राशि में होता है। विष्णु पुराण में बताया गया है कि जब गुरु कुम्भ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब हरिद्वार में कुम्भ लगता है। सूर्य एवं गुरु जब दोनों ही सिंह राशि में होते हैं तब कुम्भ नासिक में गोदावरी के तट पर लगता है। गुरु जब कुम्भ राशि में प्रवेश करता है तब उज्जैन में कुम्भ लगता है।
प्राचीन ऋषियों ने नदी संगम क्षेत्रों को पवित्र घोषित किया था। उन्होंने इन स्थानों पर ध्यान, योग और आत्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त ऊर्जा प्रवाह का अनुभव किया । ये स्थान, आध्यात्मिक विकास के लिए अनुकूल माने गए हैं।
वैज्ञानिक महत्व
पानी की गुणवत्ता और पुनःशोधन प्रक्रिया – ज्ञानिक दृष्टिकोण से संगम स्थल का पानी बायोकैमिकल गुणों से भरपूर होता है। संगम में तीन नदियाँ – गंगा, यमुन और सरस्वती का मिलन होता है, जिनके पानी में खनिज तत्व और सूक्ष्मजीव होते हैं। कई शोधों में यह पाया गया है कि गंगा का पानी बैक्टीरिया को मारने की क्षमता रखता है, और पानी में उच्च ऑक्सीजन स्तर होता है। साथ ही, संगम स्थल के पानी में सूक्ष्मजीवों के लिए एक प्राकृतिक पुनःशोधन प्रक्रिया होती है, जो पानी को शुद्ध करने में मदद करती है।
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव – कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि कुंभ मेले के आयोजन वाले स्थानों पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव हो सकता है, जो लोगों की मानसिक स्थिति और आत्मिक शांति में योगदान कर सकता है। यह ऊर्जा केंद्र कुछ हद तक शरीर और मस्तिष्क के लिए सहायक हो सकते हैं। गुरु ग्रह की गुरुत्वाकर्षण शक्ति, सूर्य का सूर्य चक्र और सोलर स्पॉट नॉर्थ पोल, साउथ पोल परिवर्तन के समय का मैग्नेटिक फील्ड बनती है। जो पृथ्वी पर सकारात्मक ऊर्जा सुमन रिसोनेंस फ्रिक्वान्सी से इंसान के दिमाग में अल्फा किरणों की वृद्धि करती है। इससे मनुष्य के मन को शांति मिलती है और शरीर को निरोगी जीवन देती है। सूर्य की गतिविधियों का पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है। जो इंसान की जैविक घड़ी जिसे नींद और जागने का चक्र कहते हैं उसे बेहतर बनाता है।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य – इस दौरान योग और ध्यान के विशेष शिविर आयोजित किए जाते हैं, जो मानसिक शांति और आत्मिक विकास के साधन हैं। कुंभ में किए जाने वाले योग, ध्यान और प्राचीन वैदिक अनुष्ठान हमारे शरीर और मन को स्वस्थ बनाते हैं।