सूर्यधाम में श्रीराम कथा के पांचवें दिन पंडित गौरांगी गौरी ने सीता-राम विवाह प्रसंग का किया वर्णन , कथा से आनंदित हुए श्रद्धालु

By Tami

Published on:

पंडित गौरांगी गौरी

धर्म संवाद / जमशेदपुर : सिदगोड़ा सूर्य मंदिर कमिटी द्वारा श्रीराम मंदिर स्थापना के चतुर्थ वर्षगांठ के अवसर पर सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के पंचम दिन कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सूर्य मंदिर समिति के संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह सपत्नीक, सचिव रूबी झा, भरत झा, मनोज कुमार सिंह, एवं अन्य ने व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया ।पूजन पश्चात श्री अयोध्याधाम से पधारे मर्मज्ञ कथा वाचिका पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी का स्वागत किया गया। स्वागत के पश्चात कथा व्यास पंडित गौरांगी गौरी ने पंडाल में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के समक्ष श्रीराम कथा के पंचम दिन सीताराम विवाह प्रसंग के तहत पुष्प वाटिका का रोचक प्रसंग सुनाया।

श्रीराम कथा के पांचवें दिन पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी ने सीता राम के पुष्प वाटिका प्रसंग का वर्णन करते हुए गुरु विश्वामित्र श्रीराम को पुष्प लाने की आज्ञा देते हैं। भगवान श्रीराम, अनुज लक्ष्मण के साथ पुष्प लाने हेतु वैदेही वाटिका पहुंचते हैं। जहां जनक नंदनी जानकी दशरथ नंदन श्रीराम की आंखें चार हो जाती हैं। श्रीराम पुष्प के लिए वाटिका के पास पहुंचते हैं। वहां उन्हें देखते ही वाटिका की रखवाली को मुख्य द्वार पर तैनात माली उन्हें अंदर प्रवेश करने से रोक देते हैं। भगवान श्रीराम बंधु माली हो हमके चाहीं कछु तुलसी दल और फूल गाते हुए फूलवाड़ी में प्रवेश की अनुमति मांगते हैं, पर मालियों को तो उन्हें छकाना था। लिहाजा श्रीराम को उन्हीं के लहजे में मालीगण जवाब देते हुए कइसे तुरब रउवा फूल धनुधारी हो कौतूहल करते हैं।
See also  चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में क्या अंतर है

कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए पूज्य पंडित गौरांगी गौरी ने कहा कि मालियों की अनुमति पर दोनों भाई वाटिका के अंदर प्रवेश करते हैं और फुलवारी के सौंदर्य को निहारते हुए पुष्प तोड़ने में रम जाते हैं। इसी बीच माता सीता अपनी सखियों के साथ गौरी पूजन को पहुंचती है। बाग घूमने के दौरान एक सखी की नजर दोनों भाइयों पर पड़ जाती है। जिसके तुरंत बाद वे भागते हुए अन्य सखियों के पास जाती है एवं उनसे उनके सौंदर्य का वर्णन करती है। जिसे सुन वाटिका अवलोकन के बहाने जानकी जी भी भ्रमण करती हैं, इसी क्रम में दोनों की नजरें एक दूसरे पर पड़ती हैं और उनकी आंखें चार हो जाती हैं। और सीताजी उसी समय मन ही मन भगवान श्रीराम को वरण कर लेती है। सीताजी वहां से लौटकर मंदिर में माता गौरी की पूजन करती है। जिससे प्रसन्न होकर श्री गौरी जी उन्हें उनकी मनोकामना पूर्ण होने की आशीष देती हैं। इधर भगवान श्रीराम भी पुष्प लेकर गुरु के पास पहुंचते हैं। गुरु विश्वामित्र श्रीराम के प्रेममयी भाव को टटोल उनकी कामनाएं पूरी होने का अशीर्वाद देते हैं।

WhatsApp channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now
कल राम कथा के छठे दिन प्रभु श्रीराम विवाह के प्रसंग का झांकी सहित एवं केवट प्रसंग एवं भरत चरित्र का वर्णन किया जाएगा। बुधवार को कथा दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होगी। इस दौरान मंच संचालन सूर्य मंदिर समिति के वरीय सदस्य गुंजन यादव ने किया। कथा के दौरान अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, समाजसेवी विकास सिंह, बबुआ सिंह, मुकेश कुमार समेत अन्य मौजूद रहे।

 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .