धर्म संवाद / डेस्क : अक्षय तृतीया एक ऐसा तिथि होती है जिसमें कोई भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त नहीं देखना पड़ता। चाहे गृह प्रवेश हो या फिर, उपनयन संस्कार, या विवाह संस्कार। संस्कारों में सबसे बड़ा संस्कार विवाह संस्कार माने जाने वाला इसमें कई तरह के ग्रहों की स्थिति और मुहूर्त देखने की आवश्यकता होती है लेकिन अक्षय तृतीया पर इसके लिए एक बेहतर मुहूर्त होता है। हर साल वैशाख की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया मनाई जाती है। अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त भी है, इसका अर्थ है कि इस तिथि पर बिना शुभ मुहूर्त देखे भी विवाह किए जा सकते हैं। लेकिन इस बार अक्षय तृतीया आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे।
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कब से शुरू होगा मुहूर्त
पंडित संतोष त्रिपाठी के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर शुरू होने जा रही है। जिसका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, बुधवार 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। इस साल अक्षय तृतीया पर जातक विवाह आदि नहीं कर सकेंगे, क्योंकि इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह का मुहूर्त नहीं रहेगा। इस दिन इस दिन शुक्र और गुरु तारा दोनों ही अस्त स्थिति में रहेंगे। विवाह के लिए गुरु ग्रह और शुक्र ग्रह को विवाह का कारक ग्रह माना गया है। ऐसे में विवाह के लिए शुक्र व गुरु ग्रह का उदित रहना जरूरी माना गया है। पिछले साल यानी 2024 में भी शुक्र और गुरु तारा अस्त होने के कारण अक्षय तृतीया पर विवाह का मुहूर्त नहीं बना था।
जप-तप का मिलता है विशेष
अक्षय तृतीया पर विशेष तौर पर पूजा पाठ जब तक किए गए यज्ञ का कई गुना फल मिलता है ऐसे में इस मुहूर्त में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जब तक पूजा पाठ करने की सलाह दी जाती है। विशेष मुहूर्त पर पूजा पाठ करने से उसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
अक्षय तृतीया का पर्व जप-तप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य आदि जैसे कार्यों के लिए बहुत ही खास माना गया है। ऐसे में अगर आप इस तिथि पर ये कार्य करते हैं, तो इसका पुण्य जीवनभर कम नहीं होता। साथ ही इस दिन सोना और चांदी खरीदने का भी विशेष महत्व माना गया है। कई लोग इस पर मेटल से बने बर्तनों की भी खरीदारी करते हैं। इसे समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। इसी के साथ अक्षय तृतीया की शाम को तुलसी के पास एक घी का दीपक भी जरूर जलाएं। इससे मां लक्ष्मी आपके ऊपर प्रसन्न रहती हैं।