धर्म संवाद / डेस्क : भोलेनाथ के भक्तों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। जल्द ही केदारनाथ धाम की यात्रा और भी आसान और सुरक्षित हो सकती है। केंद्र सरकार केदारनाथ तक पहुंचने के लिए 7 किलोमीटर लंबी सुरंग (टनल) बनाने की योजना पर काम कर रही है। यह सुरंग चौमासी से लिंचोली तक बनेगी, जिससे वर्तमान मार्ग की कठिनाइयों में कमी आएगी और हर मौसम में यात्रा संभव हो पाएगी।
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क्यों ज़रूरी है यह सुरंग?
अभी गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किलोमीटर लंबा ट्रैक है, जो रामबाड़ा और लिंचोली होकर मंदिर तक पहुंचता है। यह पूरा रास्ता भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र में आता है, जिसकी वजह से यात्रा, खासकर मानसून के दौरान, काफी खतरनाक हो जाती है। प्रस्तावित सुरंग बनने के बाद चौमासी गांव तक वाहन से पहुंचा जा सकेगा। वहां से लिंचोली तक 7 किमी की सुरंग होगी और फिर लिंचोली से मंदिर तक सिर्फ 5 किमी का ट्रैक बचेगा।
यह सुरंग 6562 फीट की ऊंचाई पर कठोर चट्टानों और बुग्यालों के नीचे से गुजरेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, इस मार्ग पर भूस्खलन का खतरा नगण्य है। इससे यात्रा लगभग 11 किलोमीटर छोटी हो जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं का समय और ऊर्जा दोनों बचेंगे।
कब तक तैयार होगी?
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने इस परियोजना की प्रारंभिक ड्राइंग तैयार कर ली है। सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और विशेषज्ञ कंसल्टेंट्स ने इसे तकनीकी दृष्टि से सुरक्षित बताया है। अनुमान है कि यह सुरंग अगले 4-5 वर्षों में पूरी हो जाएगी।
सुरंग के बन जाने से केदारनाथ धाम की यात्रा हर मौसम में संभव होगी, जिससे अधिक संख्या में श्रद्धालु आसानी से पहुंच पाएंगे। साथ ही, प्राकृतिक आपदाओं के समय वैकल्पिक रास्ता उपलब्ध होने से जनहानि को भी रोका जा सकेगा। यह परियोजना उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन और आर्थिक विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
