धर्म संवाद / डेस्क : किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को विघ्न –विनाशक भी कहा जाता है क्यूंकि वे सारे विघ्नों का विनाश करते हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि आपने सारे विघ्नों का नाश हो तो आप भगवान गणेश को प्रसन्न करने का प्रयत्न करे और उन्हे प्रसन्न करने के लिए श्री मयूरेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इस स्तोत्र के जाप से ब्रह्मभाव की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है। यह स्तोत्र मानसिक चिन्ता और सभी रोगों को भी हर लेता है।
ब्रह्मोवाच
पुराणपुरुषं देवं नानाक्रीडाकरं मुदा।
मायाविनं दुर्विभाव्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
परात्परं चिदानन्दं निर्विकारं हृदि स्थितम्।
गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया।
सर्वविघ्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
नानादैत्यनिहन्तारं नानारूपाणि बिभ्रतम्।
नानायुधधरं भक्त्या मयूरेशं नमाम्यहम्॥
इन्द्रादिदेवतावृन्दैरभिष्टुतमहर्निशम्।
सदसद्व्यक्तमव्यक्तं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
यह भी पढ़े : अर्द्धनारीश्वर शिव स्तोत्र
सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरं विभुम्।
सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम्।
भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
मुनिध्येयं मुनिनुतं मुनिकामप्रपूरकम्।
समष्टिव्यष्टिरूपं त्वां मयूरेशं नमाम्यहम्॥
सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम्।
सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
अनेककोटिब्रह्माण्डनायकं जगदीश्वरम्।
अनन्तविभवं विष्णुं मयूरेशं नमाम्यहम्॥
मयूरेश उवाच
इदं ब्रह्मकरं स्तोत्रं सर्वपापप्रनाशनम्।
सर्वकामप्रदं नृणां सर्वोपद्रवनाशनम्॥
कारागृहगतानां च मोचनं दिनसप्तकात्।
आधिव्याधिहरं चैव भुक्तिमुक्तिप्रदं शुभम्॥