धर्म संवाद / डेस्क : ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 9 ग्रह होते हैं जो एक मनुष्य की कुंडली में प्रभाव डालते हैं। ये 9 ग्रह नवग्रह कहे जाते हैं । ज्योतिष शास्त्र की गणनाओं में इनका खास महत्व होता है। इन्ही ग्रहों की महादशा का प्रभाव पड़ता है। चलिए जानते हैं आखिर 9 ग्रहों की महादशा क्या होती है।
यह भी पढ़े : 12 राशियों में कैसा होता है सूर्य का गोचर
महादशा दो शब्दों से मिलकर बना है। महा और दशा । माह का मतलब होता है ज्यादा और दशा का मतलब होता है- समय की अवधि। इस तरह से महादशा का मतलब होता है कि वह विशेष समय जिसमें कोई ग्रह जब वह सबसे ज्यादा प्रबल हो। यह जातक की कुंडली में स्थिति के अनुसार शुभ या अशुभ फल देता है।
9 ग्रहों को 12 राशियों में बांटा गया है। सूर्य और चन्द्र एक-एक राशि के स्वामी है, अन्य ग्रह 2-2 राशियों के स्वामी है। जबकि राहु-केतु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। महादशा बहुत ही लंबे समय तक चलती है। सभी 9 ग्रहों के महादशा के लिए 120 वर्षों का चक्र पूरा करना होता है।
ग्रहों की महादशा का समय कुछ इस तरह से है-
सूर्य- 6 वर्ष,
चन्द्र-10 वर्ष,
मंगल- 7 वर्ष,
राहू- 18 वर्ष,
गुरु- 16 वर्ष,
शनि- 19 वर्ष,
बुध- 17वर्ष,
केतु- 7 वर्ष,
शुक्र- 20 वर्ष।