कुब्जा कृष्ण मंदिर : यहाँ श्री कृष्ण ने किया जा कुब्जा का उद्धार

By Tami

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कुब्जा कृष्ण मंदिर

धर्म संवाद / डेस्क : मथुरा और वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं की झलक आज भी देखने को मिलती है। चाहे वो यमुना की मिट्टी हो या फिर निधिवन। श्री कृष्ण कण-कण में बसे हैं। कुछ मंदिर बहुत ही पौराणिक हैं। उन्मे से एक है कुब्जा कृष्ण मंदिर । मध्य प्रदेश में स्थित यह मंदिर श्री कृष्ण की अनगिनत लीलाओं का गवाह है।

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यह मंदिर मध्य प्रदेश के खरगोन में स्थित है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण के साथ –साथ राधा रानी और कंस की दासी कुब्जा भी विराजमान है। यह एकलौता ऐसा मंदिर है जहां कुब्जा की भी पूजा होती है। इस मंदिर को मुरली मनोहर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान कृष्ण और राधारानी की मूर्ति सफ़ेद संगमरमर की बनी है। वहीं कुब्जा की मूर्ति पीतल की बनी हुई है। बताया जाता है कुब्जा कंस की दासी थी। जो प्रतिदिन चंदन का लेप कंस के लिए तैयार करती थी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब पहली बार भगवान कृष्ण और बलराम मथुरा पहुंचे, तो कंस के महल में उनकी मुलाकात कुब्जा दासी से हुई। कुब्जा प्रतिदिन राजा कंस को चंदन के लेप बनाया करती थी। कहते हैं वह श्राप के कारण कुरूप हो गई थी और उसको कूबड़ हो गया था। सब उसे इस वजह से बुरा – भला कहकर उसका अपमान किया करते थे। परंतु, जब  भगवान कृष्ण ने उसे देखा था तो उन्होंने कहा था सुंदरी कहां जा रही हो । उनके मुख से इतने मीठे बोल सुनकर और उनका मनमोहक रूप देखकर कुब्जा ने कंस के लिए तैयार किया हुआ लेप श्री कृष्ण को ही लगा दिया। जिसके बाद भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर कुब्जा के कुरूप एंव कुबड़ेपन को खत्म कर उसे सुंदर युवती में बदल दिया।

इस कथा का उल्लेख श्रीमद्भागवत गीता में भी है। बताया जाता है कुब्जा को श्राप मिल था कुरूप और कुबड़े होने का । साथ ही उसका उद्धार भगवान कृष्ण द्वारा ही होना था । कहते यह भी हैं कि कुब्जा ने भगवान से किसी जन्म में उनकी गोपी बनने की अभिलाषा की थी। इसी कारण भगवान श्रीकृष्ण की 1008 गोपियों में कुब्जा को भी माना जाता है। 

मान्यता है कि जिस तरह कुब्जा दासी ठीक हुई थी उसी तरह इस मंदिर में जो भी बीमार, दुखी एंव शारीरिक समस्याओं वाले लोग दर्शन करते है, उनके रोग दूर हो जाते है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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