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करवा चौथ के बाद करवा का क्या करें? – परंपरा, मान्यता और सही विधि

By Tami

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धर्म संवाद / डेस्क : करवा चौथ भारत की उन पारंपरिक मान्यताओं में से एक है जो न केवल पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक है, बल्कि परिवार और विश्वास की गहराई को भी दर्शाती है। महिलाएँ इस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं।

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लेकिन एक सवाल हर साल सभी के मन में आता है —
“पूजा खत्म होने के बाद करवा का क्या किया जाए?”
आइए जानते हैं इसका सही उत्तर, जो धार्मिक ग्रंथों और पुरानी परंपराओं पर आधारित है।

“करवा” क्या है?

करवा

करवा, यानी मिट्टी या पीतल का छोटा घड़ा, जो करवा चौथ की पूजा में विशेष महत्व रखता है। इसे सुहागिन महिलाएँ पानी, चावल और सिंदूर से भरकर माता पार्वती और भगवान शिव को अर्पित करती हैं। यह “सौभाग्य और दीर्घायु” का प्रतीक माना जाता है।

शास्त्रीय मान्यता: पूजा के बाद करवा का क्या करें

पौराणिक ग्रंथों और डॉ. नित्यानंद मिश्र (धार्मिक विद्वान) के अनुसार —

“करवा पूजा का पात्र सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि सौभाग्य का प्रतीक है। पूजा के बाद इसे सम्मानपूर्वक संभालना चाहिए।”

करवा चौथ के बाद करवा से जुड़ी परंपराएँ

करवा को पूजा स्थल से उठाकर किसी शुभ स्थान पर रखें।

  • पूजा समाप्त होने के बाद करवा को तुरंत न फेंकें।
  • इसे घर के मंदिर, रसोई या किसी उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखें।

अगले दिन दान देना शुभ माना जाता है।

  • अगले सुबह करवा को हल्दी, सिंदूर, मिठाई और थोड़े चावल के साथ किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद महिला को दान करें।
  • ऐसा करने से सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कुछ परिवारों में करवा अगले वर्ष के लिए सुरक्षित रखा जाता है।

  • पुराने करवे को फेंकने के बजाय महिलाएँ उसे संभालकर रखती हैं।
  • अगले करवा चौथ पर उसी करवे में नया पानी भरकर पुनः प्रयोग किया जाता है।

यदि करवा मिट्टी का हो, तो बहते पानी में विसर्जन करें।

  • पारंपरिक रूप से, पूजा के बाद मिट्टी का करवा नदी, तालाब या पौधे के पास विसर्जित किया जा सकता है।
  • ध्यान रखें — करवा को कचरे में न डालें; यह धार्मिक रूप से अपमानजनक माना जाता है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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