महाभारत युद्ध में कितने व्यूह रचे गए थे

By Tami

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महाभारत व्यूह

धर्म संवाद / डेस्क : महाभारत का युद्ध सबसे बड़ा और सबसे भयानक माना जाता है। इस युद्ध में बहुत सारे अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग किया गया था। साथ ही कई प्रकार के व्यूह रचे गए थे। उनमे चक्रव्यूह काफी प्रसिद्ध है। शास्त्रों के अनुसार महाभारत का युद्ध पूरे 18 दिन तक चला था और पूरे युद्ध में दोनों ही पक्ष की ओर से कई तरह के व्यूहों की रचना की गई थी।  व्यूह रचना का अर्थ है कि किस तरह सैनिकों को एक रचना में खड़ा किया जाए। कथाओं के अनुसार 11 व्यूह रचे गये थे। चलिए महाभारत युद्ध में इस्तेमाल किए गए कुछ व्यूह रचना के बारे में जानते हैं। 

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गरुड़ व्यूह

गरुड़ व्यूह:  यह व्यूह भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ पक्षी की तरह बनता है । युद्ध में सैनिकों को विपक्षी सेना के सामने इस तरह कतार में खड़ा किया जाता है जिससे आसमान से देखने पर गरुढ़ पक्षी जैसी आकृति दिखाई दे। महाभारत में इस व्यूह की रचना भीष्म पितामह ने की थी।

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क्रौंच व्यूह

क्रौंच व्यूह: यह सारस की एक प्रजाति है। इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह किया जाता था। महाभारत में युधिष्ठिर ने छठे दिन कौरवों के संहार के लिए इस व्यूह की रचना की थी।  

मकरव्यूह

मकरव्यूह:  प्राचीन काल में मकर नाम का एक जलचर प्राणी हुआ करता था। मकर का सिर मगरमच्छ की तरह होता था लेकिन उसके सिर पर बकरी की तरह सींग होते थे, मृग और सांप जैसा शरीर, मछली या मोर जैसी पूंछ और पैंथर जैसे पैर दर्शाए भी होते थे। महाभारत में इस व्यूह की रचना कौरवों ने की थी। 

अर्धचंद्राकार व्यूह

अर्धचंद्राकार : अर्ध चंद्र सैन्य रचना को अर्धचंद्राकार व्यूह कहते थे। इस व्यूह की रचना अर्जुन ने कौरवों की ओर से तीसरे दिन की थी, जो पांडवों को क्षति रोकने में सफल रहा।

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कछुआ व्यूह:  इसमें सेना को कछुए की तरह जमाया जाता है। इस व्यूह को युद्ध के आठवें दिन कौरवों द्वारा की गई थी।

मंडलाकार व्यूह

मंडलाकार : मंडल का अर्थ है गोलाकार या चक्राकार। महाभारत में सातवें दिन इसे भीष्म पितामह ने परिपत्र रूप में किया था। इसके जवाब में पांडवों ने व्रज व्यूह की रचना कर भेद दिया था।

चक्रव्यूह अभिमन्यु
चक्रव्यूह

चक्रव्यूह : चक्रव्यूह आसमान से देखने पर घूमते हुए चक्र समान सैन्य रचना है। इसे देखने पर अंदर जाने का रास्ता तो नजर आता है, लेकिन निकलने का नहीं। महाभारत में 13वें दिन इसकी रचना गुरु द्रोण ने की थी। इसी चक्रव्यूह में फसकर अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु हुई थी।

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चक्रशकट व्यूह:  अभिमन्यु की निर्मम हत्या के बाद अर्जुन ने शपथ ली थी कि जयद्रथ को अगले दिन सूर्यास्त के पूर्व मार देगा। तब गुरु द्रोणाचार्य ने जयद्रथ को बचाने के लिए इस व्यूह की रचना की थीं।

औरमी व्यूह: पांडवों के व्रज व्यूह के जवाब में भीष्म ने औरमी व्यूह रचा। इस व्यूह में पूरी सेना समुद्र समान सजाई जाती थी। लहरों की तरह कौरव सेना ने पांडवों पर आक्रमण किया था।

औरमी व्यूह: पांडवों के व्रज व्यूह के प्रत्युत्तर में भीष्म ने औरमी व्यूह की रचना की थी। इस व्यूह में पूरी सेना समुद्र के समान सजाई जाती थी। जिस प्रकार समुद्र में लहरें दिखाई देती हैं, ठीक उसी आकार में कौरव सेना ने पांडवों पर आक्रमण किया था।
 श्रीन्गातका व्यूह:  कौरवों के औरमी व्यूह के प्रत्युत्त में अर्जुन ने श्रीन्गातका व्यूह की रचना की थी। ये व्यूह एक भवन के समान दिखाई देता था। संभवत: इसे ही तीन शिखरों वाला व्यूह कहते होंगे । इसके अलावा सर्वतोभद्र और सुपर्ण व्यूह का उल्लेख भी मिलता है। 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .