धर्म संवाद / डेस्क : माँ दुर्गा का वाहन शेर है परन्तु जब भी माता धरती पर पधारती हैं तो हर बार एक अलग सवारी पर पधारती हैं. साथ ही उनका प्रस्थान भी अलग सवारी पर होता है. धर्म शास्त्रों में यह बात बताई हुई है कि माता के आगमन-प्रस्थान की सवारी का निर्णय दिन के आधार पर होता है. यानी किस दिन से नवरात्रि की शुरुआत हो रही हैं और कब समाप्त हो रही हैं, उससे माता के आगमन और प्रस्थान की सवारी का पता चलता है.
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अलग-अलग वार यानी सप्ताह के अलग-अलग दिन के अनुसार माता की सवारी निर्धारित होती है. माता का वाहन डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य व हाथी होते हैं. शास्त्रों के अनुसार, जब रविवार से नवरात्रि शुरू होती है तो माता का आगमन का वाहन हाथी होता है और माता की हाथी की सवारी अधिक वर्षा का संकेत देती है. वहीं नवरात्रि सोमवार को समाप्त होंगी. इसका मतलब है कि माता का प्रस्थान भैंसे पर होगा. भैंसे की सवारी पर मां दुर्गा का प्रस्थान संकेत देता है कि देश में शोक और रोग बढ़ेंगे.
अगर मंगलवार और शनिवार से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं, जो सत्ता परिवर्तन का संकेत देता है. वहीं गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्रि शुरू होने पर मां दुर्गा डोली या पालकी में बैठकर आती हैं, जो रक्तपात, तांडव, जन-धन हानि का संकेत देता है. बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत शुभ मानी जाती है, इसमें मां नाव पर सवार होकर आती हैं.
यदि नवरात्रि रविवार और सोमवार के दिन समाप्त होती है तो मां दुर्गा भैंसे पर सवार होकर जाती हैं. कहते हैं इस देश में शोक और रोग बढ़ाती है. शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो माता रानी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं. मुर्गे की सवारी दुख और कष्ट बढ़ाने वाली है. बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि का समापन होने पर मां हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं जो अधिक वर्षा का संकेत देता है. यदि नवरात्रि का समापन गुरुवार को हो तो मां दुर्गा मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं, जो सुख और शांति बढ़ाने वाला माना गया है.