धर्म संवाद/ डेस्क : पीपल का पेड़ सनातन धर्म में बहुत पूजनीय है। धर्म शास्त्र के अनुसार, पीपल में कई देवी देवताओं का वास होता है। पीपल के पेड़ की पूजा करने से और जल चढाने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है पीपल के वृक्ष में शनि ग्रह, हनुमान जी, श्री हरि विष्णु और महादेव निवास करते हैं। कहते हैं पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है परन्तु एक दिन ऐसा भी होता है जिस दिन पीपल के पेड़ की पोजा नहीं करनी चाहिए।
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी के प्रकट होने से पूर्व उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी (ज्येष्ठा या दरिद्रा) उत्पन्न हुईं। उनके प्रकट होने के बाद दोनों बहनों के पास रहने का कोई निश्चित स्थान नहीं था। तब मां लक्ष्मी और उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी भगवान विष्णु के पास गईं और उनसे बोलीं हे जगत के पालनहार कृपया हमें रहने का स्थान दें। तब भगवान विष्णु ने कहा कि आप दोनों पीपल के वृक्ष पर वास करें। इसके बाद दोनों बहनें पीपल के वृक्ष में रहने लगीं। फिर जब भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी से विवाह करना चाहा तो लक्ष्मी माता ने यह कहते हुए टालमटोल किया कि बड़ी बहन अलक्ष्मी का विवाह नहीं हुआ है। उनके विवाह के उपरांत ही वह विवाह कर सकती हैं।
अलक्ष्मी की इच्छा थी कि उनका विवाह किसी ऐसे व्यक्ति से हो जो पूजा पाठ न करता हो। इसलिए भगवान विष्णु ने दरिद्रा यानी अलक्ष्मी का विवाह एक ऋषि से करा दिया और उसे और उसके पति को अपने निवास स्थान पीपल में रविवार के दिन निवास करने को कहा। तभी से ऐसा माना जाने लगा कि रविवार के दिन पीपल के पेड़ में अलक्ष्मी का वास होता है और रविवार को पीपल की पूजा करने से अलक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं जिससे घर में दरिद्रता आती है।