धर्म संवाद / डेस्क : हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का समय अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से अन्न, जल और दान की अपेक्षा रखते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जा रहा है।
यह भी पढ़े : कुंडली में क्यों लगता है पितृदोष
पूरे 15 दिनों तक लोग श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस काल में सात्विक आहार, संयम और पवित्रता का पालन करना जरूरी है। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में किन चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए।
पितृ पक्ष में वर्जित चीजें
1. मांसाहार से परहेज
- मांस, मछली, अंडा जैसे आहार तामसिक माने जाते हैं।
- इनका सेवन पूर्वजों की आत्मा की शांति में बाधा डालता है।
2. शराब और नशे की मनाही
- शराब, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन इस काल में महापाप माना गया है।
- नशे से श्राद्ध कर्म की पवित्रता भंग होती है और पितरों की कृपा नहीं मिलती।
3. प्याज और लहसुन
- पूजा-पाठ में अशुद्ध माने जाते हैं।
- पितृ पक्ष में इनका सेवन श्राद्ध और तर्पण की शुद्धता को प्रभावित करता है।
4. उड़द व मसालेदार दाल
- उड़द और मसूर की दाल तामसिक श्रेणी में आती हैं।
- अत्यधिक मसालेदार भोजन पितृ दोष का कारण बन सकता है।
5. कुछ सब्ज़ियां
- मूली, गाजर, शलजम और खीरा जैसी सब्ज़ियां तामसिक प्रवृत्ति की मानी जाती हैं।
- पितृ पक्ष में इनसे परहेज करना चाहिए।
सात्विक जीवनशैली अपनाएं
ज्योतिषाचार्य मनीषा कौशिक के अनुसार, इस काल में –
- सात्विक आहार
- संयमित व्यवहार
- सूर्य को जल अर्पित करना
- ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देना
- विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म
करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और वंशजों को उनका आशीर्वाद मिलता है।
पितृ पक्ष का पालन केवल धार्मिक कर्तव्य ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर भी है। इन दिनों वर्जित चीजों से परहेज कर और सात्विक जीवनशैली अपनाकर आप पूर्वजों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस पितृ पक्ष में आप भी श्राद्ध और तर्पण कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए संकल्प लें।






