धर्म संवाद / डेस्क : काशी में करीब दो सौ वर्षों बाद शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा का संपूर्ण, एकाकी और कंठस्थ दंडक्रम पारायण सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। यह अद्वितीय उपलब्धि 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने हासिल की है। महाराष्ट्र के इस युवा वैदिक विद्वान ने लगभग 2000 मंत्रों वाले दंडक्रम पारायण को मात्र 50 दिनों में सम्पन्न कर इतिहास रच दिया।
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दंडक्रम पारायण: वेद पाठ का सबसे कठिन स्वरूप
दंडक्रम पारायण शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के मंत्रों का अत्यंत जटिल, स्वर-संरचना आधारित और ध्वन्यात्मक क्रम बदलकर किया जाने वाला पाठ है। इसमें मंत्रों को आगे–पीछे, उलटे–सीधे तथा विशिष्ट शैली में दोहराते हुए कंठस्थ सुनाना होता है। वेदपाठ के 8 प्रमुख प्रकारों में यह सबसे कठिन माना जाता है। इसे वैदिक पाठ का ‘मुकुट’ भी कहा जाता है।
करीब 200 वर्ष पहले नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने यह पारायण किया था। उनके बाद अब यह गौरव देवव्रत ने प्राप्त किया है।
कौन हैं वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे?
महाराष्ट्र के अहिल्या नगर निवासी देवव्रत महेश रेखे, वेदब्रह्मश्री महेश चंद्रकांत रेखे के पुत्र हैं। वे काशी के रामघाट स्थित वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के बटुक (वेद छात्र) हैं। दंडक्रम जैसी कठिन परीक्षा के लिए देवव्रत प्रतिदिन लगभग 4 घंटे अभ्यास करते थे सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक नियमित साधना उनकी दिनचर्या का हिस्सा थी। उनका दंडक्रम तप 2 अक्टूबर को शुरू हुआ और 29 नवंबर को पूरा हुआ।
दंडक्रम पारायणकर्ता अभिनंदन समिति के चल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद, चल्ला सुब्बाराव, अनिल किंजवडेकर, चंद्रशेखर द्रविड़ घनपाठी, प्रो. माधव जर्नादन रटाटे और पांडुरंग पुराणिक ने बताया कि देवव्रत ने प्रतिदिन साढ़े तीन से चार घंटे पाठ कर इसे पूरा किया।
ऐतिहासिक उपलब्धि: दुनिया में सिर्फ दो बार
अब तक केवल दो ही पारायण हुए हैं—
- 200 साल पहले, नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव द्वारा
- 2025 में, काशी में वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे द्वारा
देवव्रत का यह पारायण काशी में सांगवेद विद्यालय में सम्पन्न हुआ और बीते शनिवार को पूर्णाहुति के साथ समाप्त हुआ।
सम्मानस्वरूप उन्हें एक सोने का कंगन और ₹1,01,116 की राशि प्रदान की गई। यह सम्मान शृंगेरी शंकराचार्य के आशीर्वाद से दिया गया।
पीएम मोदी ने की खुलकर प्रशंसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर देवव्रत की इस उपलब्धि की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने लिखा: “19 साल के वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने जो किया है, उसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी। भारतीय संस्कृति से प्रेम करने वाला हर व्यक्ति उन पर गर्व करता है। शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के 2000 मंत्रों वाले दंडक्रम पारायण को उन्होंने बिना किसी त्रुटि के 50 दिनों में पूरा किया, जो अद्वितीय है।
वे हमारी गुरु परंपरा के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। काशी के सांसद होने के नाते मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता है कि यह ऐतिहासिक कार्य इसी पवित्र नगरी में सम्पन्न हुआ।”






