सोशल संवाद / डेस्क : मकर संक्रांति का त्यौहार बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ये सूर्य से जुड़ा त्योहार है। इसी दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से दिन बड़े होते जाते हैं और रातें छोटी। इसे नई फसल की कटाई के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। पुरे भारत वर्ष में इस पर्व को मनाया जाता है। लोग अलग-अलग तरीकों से इस त्योहार को मनाते हैं। और अलग अलग नामों से इस त्योहार को बुलाते भी हैं। चलिए जानते हैं मकर संक्रांति के विभिन्न नाम।
उत्तर प्रदेश – मकर संक्रांति
उत्तर प्रदेश में इस पर्व को मकर संक्रांति ही कहा जाता है। हालांकि, यूपी के कुछ हिस्सों में इस त्योहार को खिचड़ी भी कहा जाता है। वहाँ इसे दान पर्व भी कहते हैं। संक्रांति के दिन स्नान के बाद दान देने की परंपरा है। गंगा घाटों पर मेलों का भी आयोजन होता है। मकर संक्रांति के दिन उड़द दाल और चावल की खिचड़ी बनाने का चलन है। साथ ही तिल के लड्डू का भी काफी महत्व होता है।
पंजाब-हरियाणा में लोहड़ी
हरियाणा और पंजाब में इस पर्व को ‘ लोहिड़ी’ के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। इस दिन अग्निदेव की पूजा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने मक्के की उसमें आहुति दी जाती है। इसे सिखों का नववर्ष भी माना जाता है। कुछ जगहों में इसे माघी भी कहा जाता है। इसको मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन रात को आग जलाई जाती है और उस आग के चारों ओर परिक्रमा की जाती है।
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राजस्थान और गुजरात – उत्तरायण
राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। इसी वजह से इस त्योहार को उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दौरान यहां पतंग उत्सव मनाया जाता है। 14 जनवरी को उत्तरायण और 15 जनवरी को वासी-उत्तरायण (बासी उत्तरायण) है। इस दिन विशेष कर उंधियू और चिक्की बनाई जाती है। राजस्थान में इस दिन बहुएं अपनी सास को मिठाईयां और फल देकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं। इसके अलावा वहां किसी भी सौभाग्य की वस्तु को 14 की संख्या में दान करने का अलग ही महत्व बताया गया है। महाराष्ट्र में लोग एक-दूसरे को तिल गुड़ देते हैं और कहते हैं -तिल गुड घ्या अणि गोड गोड बोलै। यानी तिल गुड़ खाओ और मीठा-मीठा बोलो।
तमिलनाडु -पोंगल
तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल कहते हैं। यहां पोंगल चार दिनों का त्योहार होता है। पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है। इस दौरान यहां चावल के पकवान, रंगोली और भगवान कृष्ण की पूजा करने का रिवाज है।
केरल – मकर विलक्कू
केरल में इस पर्व मकर विलक्कू कहते हैं और सबरीमाला मंदिर के पास जब मकर ज्योति आसमान में दिखाई देती है, तो लोग उसके दर्शन करते हैं। कर्नाटक में ‘एलु बिरोधु’ नामक एक अनुष्ठान के साथ संक्रांति मनाई जाती है, जहां महिलाएं कम से कम 10 परिवारों के साथ एलु बेला (ताजे कटे हुए गन्ने, तिल, गुड़ और नारियल का उपयोग करके बनाई गई क्षेत्रीय व्यंजनों) का आदान-प्रदान करती हैं। इसी दिन से मलयालम पंचांग, मकर मास के पहले दिन की शुरूआत भी मानी जाती हैं ।
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असम – माघ बिहू
असम में मकर संक्रांति को माघ बिहू के रूप में मनाया जाता है। इसे भोगली बिहू भी कहा जाता है। इस महीने में फसलों कि कटाई होती है। एक सप्ताह तक दावत होती है। युवा लोग बांस, पत्तियों और छप्पर से मेजी नाम की झोपड़ियों का निर्माण करते हैं, जिसमें वे दावत खाते हैं, और फिर अगली सुबह उन झोपड़ियों को जलाया जाता है। इस दौरान यहाँ शुंग पिठा, तिल पिठा आदि और नारियल की कुछ अन्य मिठाइयां बनती हैं, जिन्हें लारू कहा जाता है।
उत्तराखंड – घुघूती
उत्तराखंड में मकर संक्रांति घुघतिया के नाम से मनाई जाती है, जिसे लोग लोक भाषा में ‘घुघती त्यार’ या ‘उत्तरैणी’ भी बोलते हैं। घुघतिया पकवान के लिहाज से मुख्य रूप से बच्चों का पर्व है। इस दिन कौवों की बड़ी पूजा होती है। कुमाऊं में घुघुती बनाई जाती है, जो एक मिठाई होती है। इसे अलग-अलग आकार में बनाया जाता है। घुघुती चिड़िया के स्वागत पर इसे बनाने की परंपरा है। इसे आटे और गुड़ से बनाया जाता है और गढ़वाली घरों में खिचड़ी बनाई जाती है और उसे दान भी दिया जाता है।